बिहारी मंदिर न्यास विधेयक : स्वामी हरिदास के वंशज ही बनेंगे राज-भोग और शयन-भोग सेवादार

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार । राज्य विधानसभा में बुधवार को पेश बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक में न्यास के संरचना की भी रूपरेखा विस्तार से तय की गई है। इसमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे। मनोनीत सदस्यों वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों से होंगे। जबकि पीठों से 3 प्रतिष्ठित सदस्य (जिनमें साधु-संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी शामिल हो सकते हैं)।

वहीं, सनातन धर्म की परंपराओं, संप्रदायों के अलावा पीठों से 3 सदस्य (उसी श्रेणी के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व) शामिल होंगे। इसके अलावा सनातन धर्म की किसी भी शाखा, संप्रदाय से 3 सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति, शिक्षाविद्, विद्धान, उद्यमी, वृत्तिक, समाजसेवी, गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य- स्वामी हरिदास के वंशज जैसे एक राज-भोग सेवादारों और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि हो सकते हैं।

बैठक, दायित्व और वित्तीय अधिकार

न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी। इसके आयोजन से 15 दिन पहले नोटिस देना होगा। बोर्ड अथवा सदस्य सद्भावना-पूर्वक किए गए कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराए जाएंगे। न्यास को 20 लाख रु. तक की चल, अचल संपत्ति स्वयं खरीदने का अधिकार होगा। इससे अधिक के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे। यह अध्यादेश मंदिर की धार्मिक परंपरा की रक्षा करते हुए प्रशासन को संस्थागत बनाता है और श्रद्धालुओं को उन्नत अनुभव देने का रोडमैप प्रस्तुत करता है।

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