प्रयागराज : दुर्भावनापूर्ण याचिका दाखिल करने पर अधिवक्ता को पांच मामलों में निशुल्क सहायता का आदेश
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम के एक सहायक अभियंता के खिलाफ विभागीय जांच की मांग वाली रिट याचिका को ‘दुर्भावना से प्रेरित’ और ‘न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग’ बताते हुए खारिज कर दिया। इसके साथ ही न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने अधिवक्ता सुल्तान चौधरी को दंडस्वरूप गौतमबुद्ध नगर की निचली अदालत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आवंटित पांच मामलों में निशुल्क सहायता देने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याची न तो जल निगम का कर्मचारी है और न ही अनुशासनात्मक प्राधिकारी, इसलिए उसे सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि बाहरी हस्तक्षेप से सरकारी कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित होगा और सेवा मामलों में जनहित याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं।
कोर्ट ने अधिवक्ताओं को याद दिलाया कि वे अपने विशेषाधिकारों का दुरुपयोग न करें और मुकदमेबाजी को “शरारती लोगों का खेल” बनने से रोकें, साथ ही स्पष्ट किया कि इस आदेश से संबंधित अभियंता के खिलाफ अन्य प्राधिकारियों के समक्ष लंबित कार्यवाही प्रभावित नहीं होगी।
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