प्रयागराज : धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में एएमयू प्रोफेसर को मिली जमानत
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के सहायक प्रोफेसर को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि व्याख्यान के दौरान संदर्भ प्रकाशित पुस्तकों से लिए गए थे और व्याख्यान कक्षा में ही दिया गया था। प्रथम दृष्टया धर्म के आधार पर सार्वजनिक शांति भंग करने का कोई जानबूझकर प्रयास प्रतीत नहीं होता। कोर्ट ने डॉ. कुमार को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो जमानतदारों के साथ पेश होने का निर्देश दिया।
शर्तों के तहत उन्हें जांच में सहयोग करना होगा, आवश्यकतानुसार कोर्ट में प्रस्तुत होना होगा और बिना अकादमिक परिषद की अनुमति के धार्मिक अर्थ वाले ऐतिहासिक संदर्भ कक्षा में नहीं देने होंगे। किसी भी शर्त के उल्लंघन पर जमानत रद्द की जा सकती है। यह मामला फिलहाल ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने डॉ. जितेंद्र कुमार की याचिका को स्वीकार कर सशर्त जमानत देते हुए पारित किया। याची पर आरोप है कि वर्ष 2022 में बलात्कार पर व्याख्यान देते समय उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों के संदर्भ दिए, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और आपसी दुश्मनी को बढ़ावा मिला। याची के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 298 और 505(2) के तहत दर्ज एफआईआर दर्ज हुई।
एफआईआर के तथ्यों के अनुसार व्याख्यान के दौरान याची ने बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर संपूर्ण वांग्मय भाग-8 और गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित ब्रह्म वैवर्त पुराण के अंश उद्धृत किए थे। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि पाठ्यक्रम में "बलात्कार" विषय शामिल है, लेकिन इसमें किसी प्रकार का ऐतिहासिक या धार्मिक संदर्भ शामिल नहीं हैं। उनके अनुसार प्रोफेसर द्वारा प्रयोग की गई सामग्री में धार्मिक अर्थ निहित हैं, जो भावनाओं को ठेस पहुँचा सकते हैं। हालांकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि व्याख्यान केवल कक्षा में दिया गया था, सार्वजनिक मंच पर नहीं और किसी छात्र ने शिकायत दर्ज नहीं कराई, साथ ही उद्धृत सामग्री प्रकाशित पुस्तकों से ली गई थी, जिनमें से एक सरकारी प्रकाशन भी है। विश्वविद्यालय की तथ्य-खोज समिति, जिसमें तीन प्रोफेसर और एक सहायक रजिस्ट्रार शामिल थे, ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह संदर्भ "शायद एक गलती" था, लेकिन कोई आपराधिक इरादा नहीं पाया गया। अतः कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए याची की जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
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