लखीमपुर खीरी : पिता झोले में लेकर डीएम-एसपी दफ्तर पहुंचा नवजात का शव
बोला, रुपये के अभाव में डॉक्टर ने नहीं किया इलाज, बच्चे की हुई मौत
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: जिले में चल रहे एक निजी अस्पताल की लापरवाही का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान गर्भवती महिला का इलाज रोक देने से नवजात की मौत हो गई और मां की हालत गंभीर हो गई। शुक्रवार को पीड़ित पिता विपिन गुप्ता मृत नवजात को झोले में रखकर डीएम और एसपी दफ्तर पहुंचे और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। अचानक हुई इस घटना से कार्यालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई। एसडीएम सदर और सीएमओ ने मौके पर पहुंचकर जांच की और अस्पताल को सीज कर दिया है।
भीरा थाना क्षेत्र के ग्राम नौसर जोगी निवासी विपिन गुप्ता ने बताया कि 21 अगस्त की रात प्रसव पीड़ा बढ़ने पर पत्नी रूबी गुप्ता को परिजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजुआ ले गए, जहां डॉक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इस बीच गांव की आशा बहू दीपा के कहने पर परिजन रूबी को महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल ले आए। आरोप है कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने सामान्य प्रसव के लिए 10 हजार और ऑपरेशन के लिए 12 हजार रुपए मांगे। जब प्रसव बिगड़ने लगा तो डॉक्टरों ने 25 हजार रुपए की मांग रखी और रुपए पूरे न होने तक इलाज करने से साफ इनकार कर दिया। विपिन गुप्ता का कहना है कि उन्होंने तत्काल 5 हजार रुपए दिए, लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों ने देर कर दी।

हालत बिगड़ने पर अगले दिन महिला को अस्पताल से जबरन बाहर कर दिया गया। बाद में सर्जन अस्पताल में दिखाने पर पता चला कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी है और महिला की हालत भी गंभीर हो गई। पीड़ित परिवार का आरोप है कि गलत दवाइयां दी गईं और इलाज में जानबूझकर देर की गई। नवजात की मौत से गुस्साए परिजन शुक्रवार को बच्चे का शव झोले में रखकर डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और एसपी संकल्प शर्मा से मिले और कार्रवाई की मांग की। सूचना पर स्वास्थ्य और प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे एसडीएम सदर अश्विनी कुमार सिंह और सीएमओ डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने पूरे मामले की जांच की। सीएमओ ने अस्पताल को नियम विरुद्ध संचालन और गंभीर लापरवाही का दोषी मानते हुए गोलदार हॉस्पिटल को सीज कर दिया है।
