अमेरिकी टैरिफ से निर्यातकों को 2000 करोड़ से ज्यादा नुकसान, पीतल उद्योग पर भी असर
मुरादाबाद, अमृत विचार। अमेरिका की ओर से 27 अगस्त की रात से लागू हुए टैरिफ ने महानगर के निर्यात कारोबार की कमर तोड़ दी है। लगातार ऑर्डर रद होने से निर्यातकों को अब तक 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। हालात यह है कि निर्यात फैक्ट्रियों में छटनी का दौर शुरू हो गया है और हजारों कारीगर बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं पीतल उद्योग पर भी इसका सीधा असर पड़ा है और कई कारखानों में ताले लटक गए हैं।
निर्यातकों का कहना है कि टैरिफ लागू होने के बाद से कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। अमेरिका में क्रिसमस सीजन से पहले माल समय पर नहीं पहुंचा तो बायर्स उसे लेने से इंकार कर देंगे। इस वजह से करोड़ों रुपये के आर्डर पहले ही कैंसिल हो चुके हैं। अनुमान है कि अब तक का नुकसान 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और यह आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। लगातार हो रहे घाटे की वजह से फैक्ट्रियों को चलाना मुश्किल हो गया है। जानकारों को की माने तो शहर की निर्यात फैक्ट्रियों से 15 से 20 हजार कारीगरों और मजदूरों को काम से छुट्टी दी जा चुकी है। कारीगर अब ई-रिक्शा और दूसरे छोटे रोजगारों की तरफ रुख कर रहे हैं।
पीतल उद्योग पर भी अमेरिकी टैरिफ का गहरा असर पड़ा है। कारखानों के मालिकों का कहना है कि माल के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वहीं ऑर्डर मिलना बंद हो गया है। हालत यह है कि कई कारखाने बंद हो चुके हैं और पीतल कारीगरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, ईपीसीएच और एमएचईए के पदाधिकारी लगातार केंद्र सरकार से संपर्क साध रहे हैं और राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुरादाबाद का 70 प्रतिशत निर्यात कारोबार अमेरिका से जुड़ा है, ऐसे में टैरिफ लागू होने के बाद स्थिति को संभालना बेहद मुश्किल हो गया है। निर्यातकों और कारखानों के मालिकों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, ताकि निर्यात उद्योग और उससे जुड़े लाखों कारीगरों के रोजगार को बचाया जा सके।
युवा निर्यातक नवेद खान ने बताया कि 70 प्रतिशत निर्यात कारोबार अमेरिका से जुड़े होने के कारण स्थिति को संभालना बेहद मुश्किल हो गया है। ईपीसीएच व एमएचईए के पदाधिकारी लगातार भारत सरकार से वार्ता कर रहे है। ऐसे संकट में सरकार को निर्यातकों के लिए कुछ सोचना चाहिए। राहत पैकेज लागू करना चाहिए।
हस्तशिल्प विकास समिति अध्यक्ष -नोमान मंसूरी के मुताबिक कारखानेदार पूरी तरह से परेशान हैं। काम मिलना बिलकुल बंद हो गया है। डॉलर का रेट लगातार बढ़ता जा रहा है। टैरिफ लगने से जो माल तैयार किया तो उसमें रुकावट आ गई। कई कारखाने बंद हो गए हैं। पीतल कारोबार से जुड़ा हर आदमी परेशान है। सरकार कुछ सोचना चाहिए।
पीतल कारोबारी मोहम्मद आबिद ने बताया पीलत के कारोबार में पहले जीएसटी की मार थी। अब टैरिफ लागू होने से कारोबार पूरी तरह से काम खत्म हो गया है। लोकल स्तर से ऑडर मिलना बंद हो गए है। सरकार को ऐसा निर्णय लेना चाहिए, जिससे पीतल कारोबारियों को कुछ राहत मिल सके।
