राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के दावों पर बोले किरेन रिजिजू- 'सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने के लिए...'
नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजिजू ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संस्थाओं पर निशाना साधने के बजाय अपनी बार-बार की चुनावी हार की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले ही गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर “वोट चोरी” करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था और दावा किया था कि कर्नाटक में मतदाता सूची से कांग्रेस मतदाताओं के नाम व्यवस्थित तरीके से हटाए जा रहे हैं।
निर्वाचन आयोग ने आरोपों को “गलत और निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि उचित प्रक्रिया के बिना वोटों को हटाया नहीं जा सकता। रीजीजू ने यहां फिक्की एफएलओ के एक कार्यक्रम से इतर कहा, “अगर आप बार-बार चुनाव हारते हैं, तो आपको अपनी कमजोरियों और अपने नेतृत्व की विफलता को स्वीकार करना चाहिए। लेकिन इसके बजाय, आप संस्थाओं को दोष देना शुरू कर देते हैं। क्या यह सही तरीका है?”
केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में विपक्ष के नेता पर अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास करने का आरोप लगाया। रीजीजू ने कहा, “अपनी चुनावी असफलताओं को छुपाने के लिए राहुल गांधी किसी अन्य संस्था को निशाना नहीं बना सकते या ध्यान भटका नहीं सकते। ऐसे प्रयासों को लोग स्वीकार नहीं करेंगे।” मंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस नेता की टिप्पणियां अक्सर “भारत विरोधी दुष्प्रचार” को प्रतिबिंबित करती हैं।
रीजीजू ने कहा, “पाकिस्तान जो भी विमर्श गढ़ता है, वही विमर्श राहुल गांधी और उनकी कंपनी भारत में भी फैलाती है। कई सालों से राहुल गांधी और उनकी कंपनी जो कहती आ रही है, उसका इस्तेमाल पाकिस्तान में भारत विरोधी समूह और तत्व करते पाए गए हैं।” इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने संसद के कामकाज पर भी विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सदन में व्यवधान और शोर-शराबा एक जीवंत लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि अत्यधिक व्यवधान से संस्था की छवि को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा, “अगर संसद में शोर नहीं होगा, तो कहां होगा? यह सदन बहस और चर्चा के लिए है। विरोध करना विपक्ष का अधिकार है, परन्तु यह हदें पार नहीं करना चाहिए या गंभीर कानून निर्माण को प्रभावित नहीं करना चाहिए।”
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि कई ऐतिहासिक विधेयक - जिनमें ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करना, उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना और खेल प्रशासन को मजबूत करना शामिल है - लगातार व्यवधान के कारण सदन में बिना बहस के पारित करने पड़े। उन्होंने कहा, “जो छात्र और दर्शक कार्यवाही देखने के लिए उत्साह से आते हैं, वे अक्सर निराश होकर लौट जाते हैं क्योंकि सदन कुछ ही मिनटों में स्थगित हो जाता है। यह संसदीय लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।”
