रामपुर : सूफियाना कलाम पर झूमे लोग, कुमाऊंनी लोक नृत्य ने मन मोहा
रजा लाइब्रेरी के 251वें स्थापना दिवस पर हो रहे कार्यक्रम
रामपुर, अमृत विचार: रजा लाइब्रेरी के 251वें स्थापना दिवस पर लाइब्रेरी महोत्सव में कव्वाल शाहिद सामी नियाजी और उनके हमनवा द्वारा प्रस्तुत सूफियाना कव्वालियों पर दर्शक झूक उठे। जैसे ही शाहिद नियाजी ने दमा दम मस्त कलंदर अली का पहना नंबर का सुर छेड़ा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके अलावा कुमाऊंनी लोक नृत्य में चंदन बोरा के समूह ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति की छटा बिखेरी।
लाइब्रेरी परिसर में सूफियान कलाम सुनकर दर्शक झूम उठे। शाहिद नियाजी कव्वाल ने दो नैन तेरे दो नैन मेरे जब मिलते-मिलते चार हुए, यह तो अपनी-अपनी किस्मत है दो जीत गए दो हार गए, नैना मिला के को सुनकर रजा लाइब्रेरी परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद कुमाऊंनी लोक नृत्य में चन्दन बोरा समूह, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) के कलाकारों ने उत्तराखंड की लोक-संस्कृति और पारंपरिक नृत्य की जीवंत झलक प्रस्तुत की। घाघरा और टोपी से सजे कलाकारों ने मनमोहक लय पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रस्तुति ने पर्वतीय लोक-संस्कृति की समृद्ध धरोहर को सजीव रूप में मंच पर उतारा। इस अवसर पर पुस्तकालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र ने कलाकारों को शाल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। लाइब्रेरी के निदेशक ने कलाकारों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि रजा लाइब्रेरी सदैव भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं को मंच प्रदान करती रही है और यह महोत्सव उसी धरोहर का उत्सव है। इस अवसर पर अरुण कुमार, हिमांशु सिंह, सैयद तारिक अजहर, सनम अली खां समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
