तकनीकी खामियां रोडवेज हादसों की वजह: जांच के नाम पर खानापूर्ति, लखनऊ परिक्षेत्र की 72 बसें पार कर चुकी हैं 8 साल
लखनऊ, अमृत विचारः परिवहन विभाग भले ही बेहतर सेवाओं का दवा करे, लेकिन रोडवेज बसों में यात्रा जोखिम से कम नहीं। लखनऊ परिक्षेत्र में बसों में तकनीकी खामियों के कारण घटनाएं बढ़ रही हैं। वर्कशॉप में बसों की जांच में केवल खानापूर्ति की जाती है। वर्कशाॅप में तकनीकी खराबियों की ठीक से जांच हो, तो ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।
लखनऊ परिक्षेत्र में परिवहन निगम की 601 और अनुबंधित 453 बसें हैं। इसमें 72 बसें आठ वर्ष से अधिक पुरानी हैं। इन बसों की हालत जर्जर हो चुकी है। कई मामलों में तो यात्रियों की जान तक चली गई, लेकिन विभाग की तरफ से न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई, न ही सुधार के संकेत दिखाई देते हैं। क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने कहा कि किमी और 10 वर्ष से अधिक समय की बसें को नीलाम कर दिया जाता है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए परिवहन निगम हमेशा प्रतिबद्ध है।
हर कुछ दिन में एक नया हादसा
27 नवंबर को तेलीबाग चौराहे के पास लखनऊ से प्रयागराज जा रही अवध डिपो की बस यूपी 33 एटी 4805 के इंजन में आग लग गई। यात्रियों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।16 सितंबर को करीब 60 यात्रियों को लेकर कमता से स्कूटर इंडिया जा रही रोडवेज बस में तेज धुआं निकलने लगा।
यात्रियों के अनुसार बस ओवरलोड थी और खराब इंजन के चलते फाइन बेल्ट टूट गई, जिससे इंजन ओवरहीट हो गया। कुछ दिन पहले हनुमान सेतु के पास चलती रोडवेज बस का पहिया निकल गया। लोगों में अफरा-तफरी मच गई थी। 18 नवंबर को उतरेठिया में दुबग्गा डिपो की एक बस अचानक शहीद पथ की सर्विस लाइन पर बीच सड़क बंद हो गई। सभी यात्रियों को उतरकर दूसरी गाड़ियों का सहारा लेना पड़ा।
