IIT Kanpur: ‘बनराकस’ और ‘बेवड़ा’ आए, आईआईटियंस खिलखिलाए, दोनों अभिनेताओं ने युवाओं के साथ किया सीधा संवाद, डायलॉग भी सुनाएं
आईआईटी कानपुर में अंतराग्नि में युवाओं ने बिखेरा प्रतिभा का जलवा
कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर में शनिवार को देशभर से आए युवाओं ने अंतराग्नि में प्रतिभा का जलवा बिखेरा। शनिवार को अक्षर के आयोजन में वेबसीरीज ‘पंचायत’ फेम ‘बनराकस’ और ‘छिछोरे’ फिल्म के किरदार ‘बेवड़ा’ ने आकर धूम मचा दी। दोनो किरदारों ने युवाओं से सीधा संवाद स्थापित किया। इस दौरान दोनो ने युवाओं को जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए।
खासतौर पर ‘यथार्थ या मनोरंजन- आज के दौर में सिनेमा के प्रयोजन’ विषय पर विचार भी रखे। संवाद में दोनो के अंदाज ने युवाओं को खूब हंसाया। उधर अंतराग्नि के दौरान संगीत, नाटक, नृत्य सहित अन्य आयोजन भी हुए। अमृत विचार अखबार इस युवा महोत्सव का मीडिया पार्टनर है।आईआईटी कानपुर में ‘अक्षर’ आयोजन के दौरान वेबसीरीज पंचायत फेम ‘बनराकस’ दुर्गेश कुमार व ‘छिछोरे’ फिल्म के ‘बेवड़ा’ सहर्ष शुक्ला शामिल हुए।

कार्यक्रम में दोनों अभिनेताओं ने अपने जीवन परिचय से अवगत कराते हुए युवाओं को अभिनय के क्षेत्र में प्रवेश के किस्से भी बताएं। इसके अलावा फिल्म व ओटीटी की तुलना भी की। युवाओं के बीच बैठे दोनो अभिनेताओं ने युवाओं की भावनाओं को समझते हुए आसान भाषा में ही प्रश्नों के उत्तर दिए। मंच से ही दोनो अभिनेताओं ने अपने फेमस संवाद भी दोहराए।

उधर अन्य आयोजनों में भी प्रतिभा का जलवा बिखरा। ‘एस्टाम्पी फाइनल’ और ‘सिंक्रोनिसिटी’ प्रतियोगिताओं में गीत, संगीत व नृत्य ने सभी को आकर्षित किया। रॉक बैंड प्रतियोगिता में देशभर से आई टीमों ने वेस्टर्न म्यूजिक को बॉलिवुड गीतां में पिरोया।

देर रात तक चलने वाले इवेंट में ऋतंभरा फाइनल की पांच टीमों ने फाइनल के लिए दम दिखाया। मंच से बिखेरा जा रहा फैशन का जलवा सभी के आकर्षण का केंद्र रहा। इसके अलावा शाम को हुई फ्यूजन नाइट में युवा जमकर थिरके। लाइट और म्यूजिक के मिलन से समारोह स्थल का माहौल भव्य हो गया।
फिल्मों में एक्टिंग नहीं करने देते : दुर्गेश कुमार
फिल्मों में बड़े नाम के आगे किसी को एक्टिंग नहीं करने दिया जाता। जो लाइन राइटर को दी जाती है उसे ‘एज इटइज’ बोल दिया जाता है। इसके उलट ओटीटी में हम जैसे एक्टर को अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका मिलता है। इससे हम लोगों को बहुत फायदा होता है। यह कहना है पंचायत सीरीज के ‘बनराकस’ दुर्गेश कुमार का। वे शनिवार को आईआईटी के एक इवेंट में शमिल जुए थे।
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आज समाज में परिवार में सभी अकेले टीवी या मोबाइल देखना चाहते हैं। ऐसा हो रहा है, लेकिन हम लोगों को इतना बड़ा नहीं सोचना चहिए। यह समस्या है इसे दूर करने की जरूरत है। इसी तरह उन्होंने ओटीटी पर गालियां अधिक होने के आरोप पर भी सफाई दी। कहा कि जितना दिखाया जाता है समाज में उससे कहीं अधिक है। यह तय किया जाना चाहिए कि कितना दिखाना होगा। युवाओं को सीख दी कि ‘ऐसी कोई कल्पना नहीं है जिसका बेस वास्तविक्ता न हो’।
मैं फिल्में बहुत कम देखता हूं : सहर्ष शुक्ला
मैं फिल्मों में काम करता हूं, लेकिन बहुत अधिक फिल्में नहीं देखता। यदि कोई ऐसा रोल भी आता है जिससे किसी से प्रेरणा लेनी होती है तो भी फिल्मों के बजाए किताबें पढ़ना या फिल समाज से वह आधार लेता हूं। फिल्में देखने का मेरे पास समय ही नहीं है।
यह कहना है फिल्म छिछोरे फेम सहर्ष शुक्ला का। आईआईटी कानपुर में उन्होंने युवाओ से कहा कि जीवन में ऐसी फिल्में जो मुझे प्रभावित करती है वह बहुत कम हैं। यदि कोई फिल्म बहुत अच्छी है तो उसे हॉल में जाकर अकेले देखता हूं।
युवाओं को उन्होंने बताया कि मेरा फिल्मों में आने का फैसल भी फिल्म देखकर ही लिया गया। मेहनत की और आज इस मुकाम पर पहुंच गया हूं। युवाओं को उन्होंने सीख दी कि लोगों को भी मोबाइल और फिल्म कम देखना चाहिए। जितना वे लोगों से मिलेंगे उतना उन्हें अनुभव होगा। समाज ही नए विचार देता है।
कल्पना से करुणा तक
आईआईटी परिसर में हुए विभिन्न कार्यक्रमों में एक ‘कल्पना से करुणा तक’ नामक साहित्यिक और बौद्धिक चर्चा में डॉ. आलोक बाजपेयी, डॉ. मधु सहगल और आनंद कक्कड़ शामिल हुए। उन्होंने गंभीर संवाद से युवाओं के दिलों के छुआ। इसके बाद कवि सम्मेलन और मुशायरा, काव्यांजलि और पोएट्री स्लैम जैसे इवेंट में भी धूम रही। कवि सम्मेलन में नरेश सक्सेना, बालमोहन पांडे, अज़हर इक़बाल, अमृतांशु शर्मा, सान्या राय, व्योमेश शुक्ल, विश्वनाथ तिवारी जैसे दिग्गज शामिल हुए।
फैशन का बिखरा जलवा
अंतराग्नि में शाम का शानदार आकर्षण ऋतंभरा फाइनल रहा। जहां ऋतंभरा प्रारंभिक राउंड से चुनी गई पांच टीमों ने प्रतिष्ठित फैशन कार्निवल खिताब के लिए प्रतिस्पर्धा की। आयोजन के दौरान विभिन्न थीम पर टीमों की ओर से की गई प्रस्तुतियों ने माहौल में आकषर्ण भर दिया। पांच फाइनलिस्ट टीमों की ओर से की गई प्रस्तुतियों को निर्णायक मंडल की ओर से परखा गया। देर रात तक मिस्टर और मिस ऋतंभरा के खिताब के लिए प्रतिभागी टीमों से चयन किया जाता रहा।
