उत्तराखंड के पिरुली से होगा कोलन कैंसर का उपचार, हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है झाड़ीनुमा पौधा
लखनऊ, अमृत विचार: लखनऊ विश्वविद्यालय और सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार एक हिमालयी पौधे पर शोध किया है, जो बड़ी आंत के कैंसर (कोलन कैंसर) उपचार में बेहद कारगर साबित हुआ है। उत्तराखंड के पहाड़ों में पाए जाने वाले पिरुली नाम के पौधें (सारकोक्का सालीग्ना) के एंटी कैंसरस गुणों पर अध्ययन किया गया है। कैंसर उपचार के क्षेत्र में नई दिशा की खोज करते हुए वनस्पति विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. नेहा साहू की शोध टीम ने यह नई खोज की है।
शोध में पिरुली से दो प्रकार के यौगिक खोजे गए हैं जो कि बड़ी आंत के कैंसर कोशिकाओं को तेजी से नष्ट करते हैं। यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल एसीएस ओमेगा में प्रकाशित हुआ है। इस शोध ने हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाली अनेक औषधियों में वनस्पति विज्ञानियों की उत्सुकता बढ़ा दी है। पिरुली का अध्ययन आशिंक तौर पर पाकिस्तान और चीन में किया गया है लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय का यह अध्ययन देश का पहला विस्तृत अनुसंधान है जिसने पिरुली की कैंसर रोधी क्षमता को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया है।
इस तरह प्रयोगशाला में हुआ शोध
पौधे के अर्क से बायोएक्टिविटी-गाइडेड फ्रैक्शनशन तकनीक (यानि पौधे के अर्क को विभाजित कर यह देखा गया कि कौन-सा हिस्सा सबसे प्रभावी है) इसमें दो स्टेरॉयडल ऐल्कलॉइड्स सार्कोरिन सी और सालोनिन सी को अलग किया गया। इन यौगिकों ने एचटी-29 नामक कोलन कैंसर कोशिकाओं पर अत्यधिक प्रभावी और चयनात्मक साइटोटॉक्सिसिटी (केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता) दिखाई, जबकि सामान्य कोशिकाएं सुरक्षित रहीं। यह दोनो यौगिक कैंसर की दवा सिसप्लैटिन से भी अधिक कारगर पाया गया।
इन वैज्ञानिकों ने किया शोध
वनस्पति विज्ञान विभाग की डॉ. नेहा साहू के अलावा डॉ. अमित दूबे (चेन्नई )और डॉ. नितेश सिंह (एसजीटी विश्वविद्यालय गुरुग्राम) ने कंप्यूटर आधारित वैज्ञानिक एनलिसिस किया। इसके अलावा सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. के. आर. आर्या, डॉ. दीपक दत्ता, डॉ. टी. नरेंद्र, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. प्रज्ञा यादव, डॉ. प्रियांक चतुर्वेदी, संजीव मीना, डॉ. विजया शुक्ला, और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार गया के डॉ. बिकाश कुमार रजक शामिल रहे।
कोलन कैंसर 5 वां बड़ा कैंसर
भारत में प्रमुख रुप से 5 प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं जिनमें कोलन कैंसर एक है। वर्तमान में उपचार का तरीका गंभीर दुष्प्रभाव और औषधि प्रतिरोध जैसी समस्याएं उत्पन्न करती हैं। ऐसे में पौधों से प्राप्त प्राकृतिक यौगिकों की खोज, जो केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते हैं और सामान्य कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हैं, भविष्य के लिए क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
ये भी पढ़े :
हल्द्वानी में सड़क चौड़ीकरण की शुरुआत: एडीबी की मदद से होगा सुधार का काम, पहले चरण का काम शुरू
