संपादकीय: चुनावी स्वच्छता अभियान
देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के दूसरे चरण की घोषणा भारतीय लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया में विश्वसनीयता और पारदर्शिता के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मतदाता सूची की शुद्धता, सटीकता ही निष्पक्ष चुनाव की नींव होती है और इस दृष्टि से यह कदम लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करेगा। यह केवल एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधि प्रणाली की शुद्धिकरण का भगीरथ प्रयास है।
उत्तर प्रदेश को केंद्र में देखें तो इस पहल का महत्व और भी बढ़ जाता है। देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते, यहां के मतदाता आंकड़े चुनावी समीकरणों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 16 करोड़ मतदाता हैं। निर्वाचन आयोग के अनुमान के अनुसार, इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में करीब 25 लाख नए मतदाता जुड़ने की संभावना है, जबकि 12 लाख नामों के हटने की आशंका है। इनमें मुख्यतः मृतकों, दोहराए गए नामों या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटेंगे। बेशक यह प्रक्रिया राज्य के लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व को अधिक विश्वसनीय बनाएगी।
पिछले 21 वर्षों से इस स्तर का व्यापक पुनरीक्षण न होना चिंता का विषय रहा है। इसके पीछे तकनीकी सीमाएं, प्रशासनिक उदासीनता और राज्यों के बीच समन्वय की कमी तथा परिस्थिति विशेष जैसे कारण बताए गए, लेकिन अब डिजिटल वेरिफिकेशन, आधार लिंकेज, मोबाइल ऐप आधारित फील्ड एंट्री और ऑनलाइन शुद्धिकरण प्रणाली जैसी नई तकनीक ने इस प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और किंचित सरल तथा त्रुटि-मुक्त बनाया है। इससे फर्जी वोटर पहचानने, दोहराव रोकने और स्थानांतरित मतदाताओं को सही बूथ पर दर्ज करने में मदद मिलेगी, पर पूरी तरह शुद्ध सूची सुनिश्चित करने के लिए आयोग को निरंतर निगरानी और त्रिस्तरीय सत्यापन प्रणाली लागू करनी होगी।
फील्ड वेरिफिकेशन टीमों को प्रशिक्षण और पूरी जवाबदेही के साथ काम करना होगा, विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोपों का तथ्यात्मक उत्तर इससे दिया जा सकेगा। आयोग के अनुसार प्रक्रिया निष्पक्ष है। बिहार में हालिया पुनरीक्षण के दौरान 65 लाख नाम हटाए और 48 लाख नए मतदाता जोड़े गए, लगभग 40 हजार संदिग्ध प्रवासी मतदाताओं की पहचान की गई। असम को इस सूची से फिलहाल बाहर रखा गया है, क्योंकि वहां राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और मतदाता सूची का तालमेल जटिल है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल की सरकारों की तकनीकी हस्तक्षेप और डेटा गोपनीयता की आपत्तियों पर आयोग ने इन राज्यों को आश्वस्त किया है कि मतदाता सूची से जुड़ा हर डेटा सुरक्षित रहेगा और राज्य सरकारों को सत्यापन प्रक्रिया में बराबर भागीदारी दी जाएगी। फिर भी राजनीतिक विवाद अनिवार्य है।
कुल मिलाकर, मतदाता सूची को अद्यतन करने का यह विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम लोकतंत्र की आत्मा को निर्मल रखने का यह प्रयास है, जो वोट के अधिकार को सुरक्षित बनाने के साथ उस जनविश्वास को भी सुदृढ़ करता है, जिस पर लोकतांत्रिक शासन की इमारत खड़ी है, जिसकी सफलता नागरिकों की जागरूकता और आयोग की निष्पक्षता दोनों पर समान रूप से निर्भर करती है।
