महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामला: बड़े हनुमान जी मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी की जमानत अर्जी खारिज

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के मामले में प्रयागराज स्थित बड़े हनुमान जी मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

यह मामला थाना जॉर्ज टाउन में वर्ष 2021 में दर्ज किया गया था, जिसमें तिवारी पर आत्महत्या के लिए उकसाने और षड्यंत्र रचने के आरोप लगाए गए थे। प्रारंभिक जांच पुलिस के पास थी, लेकिन बाद में यह जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई। इससे पूर्व, प्रयागराज के सत्र न्यायाधीश ने 21 जनवरी 2022 को भी तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता 22 सितंबर 2021 से जेल में बंद है।

जमानत अर्जी को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत गठित विचाराधीन समीक्षा समिति (यूटीआरसी) को निर्देश दिया कि वह भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 (विचाराधीन बंदी को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि) के तहत याचिकाकर्ता की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करे और आवश्यक संस्तुति दे।

अदालत ने निबंधक (अनुपालन) को आदेश दिया कि वह यह निर्णय और आदेश की प्रति यूटीआरसी और उसके सदस्यों को शीघ्र उपलब्ध कराए। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनका मुवक्किल कथित अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा में से काफी अवधि जेल में गुजार चुका है, इसलिए वह मुचलके पर रिहाई का पात्र है।

धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत अधिकतम सजा 10 वर्ष तक की है। वहीं, विपक्ष के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मुकदमे की सुनवाई में अवरोध डालने का प्रयास किया, इसलिए वह जमानत पाने का हकदार नहीं है। थाना जॉर्ज टाउन क्षेत्र के श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में 20 सितंबर 2021 को महंत नरेंद्र गिरि का शव कमरे में फंदे से लटका मिला था। उस समय वह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने आनंद गिरि और दो अन्य शिष्यों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

घटना के तुरंत बाद तीनों आरोपियों आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) और धारा 120-बी (षड्यंत्र रचने) के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने के बादा जेल भेजा गया था।

जांच के 60 दिनों बाद सीबीआई ने 20 नवंबर 2021 को आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि नरेंद्र गिरि अपने शिष्यों के मानसिक उत्पीड़न के कारण अत्यधिक तनाव में थे और समाज में अपमान से बचने के लिए आत्महत्या कर ली। वर्तमान में तीनों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं। प्रयागराज के सत्र न्यायाधीश ने 31 मार्च 2023 को आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी के खिलाफ आरोप तय किए।

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