सीएसए कृषि विश्वविद्यालय: किसानों की आय बढ़ाने वाले उत्पादों का प्रदर्शन

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Published By Virendra Pandey
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कार्यालय संवाददाता, कानपुर, अमृत विचार : चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में दो दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला व कृषि उद्योग प्रदर्शनी की बुधवार को शुरुआत हुई। मेले में खासतौर पर युवाओं ने किसानों को नए कृषि उत्पादों जैसे मशरूम के चिप्स, भूसी गोबर के दिये से परिचय कराकर उनकी आय बढ़ाने के विकल्प सुझाए। इस दौरान उन्हें मिलेट्स जैसे उत्पादों के बिक्री मॉडल भी समझाया गया। मेले में किसानों ने नए बीज, कृषि यंत्र सहित अन्य जानकारियां भी ली। विशेषज्ञों ने किसानों को तकनीकी सलाह भी दी। 

महिलाओं की फोटो

मेले की शुरुआत मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने की। इस दौरान मंडलायुक्त व विश्वविद्यालय के कुलपति के. विजयेंद्र पांडियन भी मौजूद रहे। उन्होंने मेले में लगे सभी स्टालों का भ्रमण किया। स्टालों पर प्रदर्शित कृषि तकनीकियों को समझा। मेले में दूसरे जनपदों से आए कृषकों को संबोधित किया। इसके पूर्व उन्होंने प्रदेश के 10 प्रगतिशील कृषकों को भी सम्मानित किया। डॉ सिंह ने कहा कि सीएसए का हरित क्रांति में बड़ा योगदान है। किसान मेलों का किसानों की उन्नति में बड़ी भूमिका रहती है। ऐसे मेलों के आयोजन से किसान नई तकनीक से रूबरू होते हैं। इस विश्वविद्यालय द्वारा सरसों की वरुणा प्रजाति सहित अन्य फसलों की नई प्रजातियां विकसित की गई हैं, जो जलवायु अनुकूलन भी हैं। 

उन्होंने मक्का व आलू की खेती पर भी विशेष बल दिया। विशिष्ट अतिथि आईसीएआर अटारी कानपुर के निदेशक डॉ शांतनु कुमार दुबे ने कहा कि किसान कृषक मेलों के माध्यम से नई तकनीक सीख कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कानपुर मंडलायुक्त एवं विश्वविद्यालय के कुलपति श्री के. विजयेंद्र पांडियन ने बताया कि देश की आर्थिक स्थिति में कृषि का बड़ा योगदान है। उन्होंने कृषि रसायनों के कम से कम प्रयोग पर बल दिया। इस दौरान प्रसार निदेशालय द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। निदेशक प्रसार डॉ आरके यादव, डॉ वीके कनौजिया, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. सीएल मौर्य, डॉ. विनोद प्रकाश, डॉ भूपेंद्र सिंह, डॉ. पीके राठी,कृषक समिति के अध्यक्ष बाबू सिंह, महिला कृषक समिति की अध्यक्ष डॉ विजय रत्ना तोमर सहित अन्य मौजूद रहे। 

फूलों व भूसी के रंग

किसानों के खराब हो चुके फूल और भूसी से बने रंगों का भी प्रदर्शन मेले में किया गया। यह उत्पाद उन किसानों के लिए है जो कृषि की खराब हो चुकी सामग्रियों से भी आय कर सकते हैं। डॉ. रितु पाण्डेय, डॉ. अंकित यादव, प्रियांशी राज, साक्षी गंगवार व दिव्यांशी सिंह के प्रयासों से बने यह रंग हरशृंगार, चने की भूसी व मूंगफली से बने हुए हैं। बताया गया कि विदेशी बाजार में इन ऑग्रेनिक रंगों की अच्छी मांग है।

मशरूम की चिप्स व प्रोटीन पाउडर

सीएसए विवि के छात्रों की टीम ओर से मेले में मशरूम से बने उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इन उत्पादों में मशरूम से बने प्रोटीन पाउडर, अचार, पापड़, चॉकलेट सहित 6 उत्पाद का प्रदर्शन किया गया। टीम में शामिल छात्र यश भारद्वाज, अंकिता वर्मा, तान्या त्रिपाठी, दिव्यांजलि, अंबर सिंह, सिद्धार्थ वर्मा व अनिकेत सिंह ने बताया कि मशरूम की बिक्री के बजाए यदि उसके उत्पाद का कारोबार भी किसान खेती के साथ करें तो आय 23 फीसदी बढ़ जाती है।  

व्यापार करने का तरीका

मेले में युवाओं की ओर से किसानों को मिलेट्स के उत्पादों का बिक्री मॉडल बताया। एमबीए के छात्रों ने किसानों को बताया कि यदि वे मिलेट्स के साथ ही उससे बने उत्पादों का भी कारोबार करते हैं तो 2 फीसदी लाभ के बजाए 25 फीसदी लाभ हासिल होता है। अभिनव सिंह, आशुतोष कौशिक, गौरव पाण्डेय, अंशिका मिश्रा व सुभ्रांश शुक्ला ने बताया कि मॉडल के जरिए उन लोगों ने 3 सौ से अधिक किसानों को जागरुक किया।  

गोबर व भूसी के दिये

किसान मेले में छात्रों ने किसानों को कूड़े से लाभ कमाने के तरीके भी बताए। आयुषि मिश्रा, सिद्धार्थ मिश्रा व दिशा सचान ने बताया कि उन लोगों ने ऐसे प्रोडक्ट को किसानों के सामने प्रदर्शित किया है जो कृषि के कूडे से बने हैं। इनमें गोबर के दिये, भूसी, गोबर व फूल की धूपबत्ती से उत्पाद शामिल हैं। इन उत्पादों से किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

एक कूलर में तीन फसल

मेले में एक छात्र अंशू कुमार वर्मा की ओर से बनाए गए हाइड्रोवेंट सिस्टम को सभी की सराहना मिली। इस सिस्टम की खासियत है कि इसमें छोटी की जगह पर तीन फसल उगाई जा सकती है। इनमें धनिया, मेंथी या एक पत्तेदार फसल शामिल है। सिस्टम के तहत घर में ठेडी हवा भी पहुंचाई जा सकती है। यह कूलर किचन गार्डेन का शौक रखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।
 

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