बाराबंकी : रस्म अदायगी में उलझी सड़क सुरक्षा, जिम्मेदार बेपरवाह, हादसे के बाद फिर खानापूरी, जवाबदेही नदारद

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Published By Virendra Pandey
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कार्यालय संवाददाता, बाराबंकी, अमृत विचार : सड़क हादसे में आठ निर्दोष जाने गवांने की घटना लोक निर्माण विभाग, यातायात व सड़क सुरक्षा समिति की औपचारिक बैठकों के मुंह पर तमाचा है। हर बड़े हादसे के बाद यह सभी विभागीय रस्म निभाते, खुद की गर्दन बचाते और एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते नजर आए हैं। इस घटना की रिपोर्ट भी शासन में अपनी गर्दन बचाते हुए भेज दी जाएगी पर असल सवाल यह है कि जिम्मेदारों से जो हो सकता है वह किया गया, जवाब न में है। साफ है कि सभी को फिर एक बड़े हादसे का इंतजार है।
 
सबसे पहले नजर डालें घटनास्थल पर तो देवा व फतेहपुर क्षेत्र की सीमाओं को जोड़ने वाला कल्याणी नदी पर बना हुआ पुल ही हादसे का जनक बना हुआ है। 30 किमी की दूरी के बीच में यह पुल न सिर्फ संकरा है बल्कि दोनों मार्गों के बीच में सिकुड़ा हुआ है। पुल के दोनों ओर वाहनों को झटका देने वाले पैच लगा दिए गए हैं, जिससे हादसे की संभावना निरंतर बनी रहती है। अब बात करें जिम्मेदारों की जवाबदेही की तो लंबे मार्ग के इस अहम पड़ाव वाले पुल पर संकेतक, रिफ्लेक्टर, मार्ग अवरोधक, प्रकाश व्यवस्था तो दूर की बात एक गति सीमा का बोर्ड तक नही है। जिससे वाहन चालक सतर्क हों व संभल सकें।

मार्ग चौड़ा होने के बाद पुल तक पहुंच कर संकरा हो जाने से वाहन चालक अचानक टर्न लेते हैं, ऐसे में दूसरी ओर से आता वाहन बेहद करीब से गुजरता है। जिससे हादसे की संभावना प्रबल हो जाती है। घटना को लेकर चर्चाएं तमाम हैं लेकिन आठ लोगों की जान लेने वाला हादसा बड़ा और द्रवित विचलित कर देने वाला था। हर माह सड़क सुरक्षा समिति की बैठक होती है पर यह रस्म अदायगी से अधिक नहीं। अन्य दिशा निर्देशों की बात कौन करे, अब तक सड़क पर बड़े वाहनों के खड़े होने की दिशा में ही कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी है और न ही ब्लैक स्पाट ही तय किए गए हैं। शासन भले ही हादसों में जा रही जानों को लेकर चिंतित हो पर बाराबंकी में जिम्मेदारों को शायद ही कोई फर्क पड़े। इन्हे भी अब शायद इससे बड़े हादसे का इंतजार है।

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