अस्पताल में नहीं मिल रहीं डॉक्टर की लिखी सभी दवाएं, मरीज मजबूर होकर बाहर से खरीद रहें दवाइयां

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार : सरकारी अस्पतालों में बाहर से दवाएं लिखने पर रोक है, लेकिन अस्पतालों में डॉक्टर की लिखी सभी दवाएं मरीजों को नहीं मिल पा रहीं। मरीज बाहर की दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।

सरकारी अस्पतालों में 200 से अधिक दवाएं मौजूद होने का दावा किया जाता है। डॉक्टर के लिखने पर ये दवाएं मरीजों को निशुल्क दी जाती हैं। जन औषधि केंद्र से भी दवाएं ली जा सकती हैं, लेकिन डॉक्टर की लिखी सभी दवाएं अस्पताल में नहीं मिल रही हैं। श्वास की मर्ज से परेशान बाराबंकी निवासी बुजुर्ग श्याम नाथ शुक्रवार को बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में दिखाने आए थे। उन्हें देखने के बाद डॉक्टर ने पर्चे पर आठ तरह की दवाएं लिखीं। इनमें से सात दवाएं अस्पताल से मिल गई। एसीब्रोफाइलिन एंड एसिटाइलसिस्टीन 100 मिग्रा दवा बाहर मेडिकल स्टोर से लेनी पड़ी। इसी तरह मनोरोग विभाग की ओपीडी में मरीज अमितेष को देखने के बाद डॉक्टर ने पांच तरह की दवाएं लिखीं। इसमें तीन दवाएं अस्पताल से मिल गई। दो दवाएं जन औषधि केंद्र पर भी नहीं मिली। मरीज को बाहर से दवाएं लेनी पड़ी। ऐसा तब है जब अस्पताल की ईडीएल में 287 तरह की दवाएं मौजूद होने का दावा किया जा रहा है। अस्पताल की निदेशक डॉ. कविता आर्या ने कहा कि डॉक्टर बाहर की दवाएं लिखेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।

बाहर की दवाएं लिखने वाले चिकित्सकों पर होगी कार्रवाई : सीएमओ

सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने शुक्रवार को सभी सामुदायिक, प्राथमिक, अबर्न हेल्थ पोस्ट सेंटर और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में लगभग 200 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं। अस्पतालों के स्टोर में पर्याप्त दवाओं का स्टॉक है। इसके बावजूद यदि कोई डॉक्टर मरीजों को बाजार की दवा लिख रहा है तो उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सीएमओ ने साफ कहा है कि सादी पर्ची पर दवा लिखने का खेल पूरी तरह से बंद होना चाहिए। यदि अस्पताल में दवा नहीं है तो ब्रांड नाम लिखने से बचें। दवा का जेनेरिक नाम ही लिखें। दवा का प्रिस्क्रिप्शन अस्पताल के पर्चे पर ही लिखें। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों को मुफ्त इलाज मिले इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है। डॉक्टर व कर्मचारी स्वास्थ्य केंद्रों में समय से आएं और अपनी सेवाएं दें। यदि कोई चिकित्सक अनुपस्थित मिलता है तो अस्पताल के अधीक्षक जिम्मेदार होंगे ।

 

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