Pilibhit: विहिप संगठन मंत्री का गैर आधिकारिक पत्राचार और जिम्मेदारों पर सवाल...FIR के बाद गिरफ्तार
पीलीभीत, अमृत विचार। विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री प्रिंस गौड़ की मुश्किल बढ़ गई। एक प्रकरण को लेकर बिना कोई अधिकार पत्राचार और अनर्गल आरोप लगाते हुए जिम्मेदारों के निर्णय पर सवाल उठाए। इस मामले में विहिप जिलाध्यक्ष ने भी संगठन मंत्री की हरकत को गलत बताया और फिर कार्रवाई की गई है।
सदर कोतवाली में एडीएम ऋतु पुनिया ने छह नवंबर को एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री प्रिंस गौड़ को आरोपी बनाया गया था। इसमें बताया था कि प्रिंस गौड़ ने एक पत्र मंडलायुक्त बरेली को भेजा था, जिसमें खुद को संगठन मंत्री विश्व हिंदू परिषद शाजीपुर विभाग लिखा था। इस पत्र में जितनी भी बाते लिखी गई वह आधारहीन, तथ्यहीन और झूठी थी। पहले पैराग्राफ में लिखा गया कि वादी के द्वारा स्टाम्प में जुर्माना अधिक लगाया गया है। इस प्रकार किसी को भी न्यायिक प्रकिया के संबंध में बयान देने का अधिकार नहीं है।
चूंकि न्यायिक प्रकरण चर्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक चलते है। अवर न्यायालय के आदेशों की अपील प्रवर न्यायालय में होने की दशा में प्रवर न्यायालय द्वारा ही इसकी समीक्षा आदि की जाती है। इस प्रकार उनके द्वारा न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्यों में व्यवधान डालने एवं शासकीय कार्यों में बाधा डाली गई है। शासकीय छवि एवं सामाजिक प्रतिष्ठा पर कुठाराघात किया गया है। आरोपी द्वारा ये भी लिखा गया कि एक कालोनी में धारा 80 का कार्य एडीएम द्वारा किया गया।
जबकि इसका न्यायिक क्षेत्राधिकार संबंधित एसडीएम को होता है। इसकी अपील मंडलायुक्त के कार्यालय में होती है। जिसमें किसी एडीएम का हस्तक्षेप नहीं होता है। इसकी अपील भी मंडलायुक्त के न्यायालय में होती है। इसके अलावा भी संगीन आरोप थे। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद शनिवार को कोतवाली पुलिस ने आरोपी प्रिंस गौड़ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। मामला चर्चा विषय बना रहा। कोतवाल सत्येंद्र कुमार ने बताया कि संबंधित प्रकरण में आरोपी प्रिंस गौड़ का रिमांड लिया गया है। मुकदमा छह नवंबर को लिखा था।
तो जिलाध्यक्ष ने नहीं दिया था कोई अधिकार
इस कार्रवाई के बाद विहिप के जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण का एक पत्र भी वायरल हो रहा है। यह पत्र एडीएम को ही भेजा गया है, जोकि कार्रवाई से पूर्व का है। जिसमें पत्रांक संख्या के साथ एडीएम को जबाव भेजा है। साफ लिखा है कि विहिप की ओर से पत्राचार के लिए जिलाध्यक्ष की ओर से ही किसी पदाधिकारी को किसी भी विषय पर पत्राचार के लिए अधिकृत नहीं किया गया है। विहिप का किसी के व्यक्तिगत कार्य से कोई सरोकार नहीं है। प्रिंस गौड़ के पत्र से भी विहिप का कोई सरोकार नहीं है। एडीएम के कार्यों की भी प्रशंसा की है। ये भी साफ लिखा है कि संबंधित मामले में कार्रवाई के लिए एडीएम स्वतंत्र है। बताते है कि इसी के बाद कार्रवाई की गई है।
