कानपुर : मौसम में हो रहा बदलाव, ब्लड प्रेशर ग्रस्त मरीज रहे सावधान, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
कानपुर, अमृत विचार। शहर में मौसम में बदलाव हो गया है, अब सुबह और रात के वक्त सर्दी बढ़ गई है। ऐसे में सबसे सचेत रहने की जरूरत उन लोगों को हैं, जो ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त है और अभी भी इस मौसम में पुरानी निर्धारित की गई खुराक का ही सेवन कर रहे है।
गर्मी वाली बीपी की दवा सर्दी में नुकसानदान साबित हो सकती है। ऐसे में जिन मरीजों ने अभी तक दवा की डोज में बदलाव नहीं किया है, उनको तत्काल प्रभाव से डॉक्टर से संपर्क कर दवा में बदलाव कर लेना चाहिए। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल व उर्सला अस्पताल में इन दिनों बीपी की समस्या ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ी है।
डॉक्टरों के मुताबिक मौसम में बढ़ रही सर्दी की वजह से ब्लड प्रेशर ग्रस्त मरीजों को यह तकलीफ हो रही है। खासकर उन्हें, जिन्होंने अभी तक दवा में बदलाव नहीं है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के प्रो.एसके गौतम ने बताया कि सर्दी में बीपी ग्रस्त मरीजों को गर्मी वाली उच्च रक्तचाप की दवा नहीं खानी चाहिए, क्योंकि सर्दियों में रक्तचाप स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है और गर्मी में दी जाने वाली दवाएं रक्तचाप को और भी कम कर सकती हैं, जिससे बेहोशी या चक्कर आने का खतरा हो सकता है।
ऐसे संबंधित मरीजों को डॉक्टर से सलाह लेकर सर्दियों में दवाओं की खुराक को समायोजित करवाना चाहिए। क्योंकि अस्पताल में ऐसे कई मरीज आ रहे हैं, जिन्होंने अभी तक दवा में बदलाव नहीं किया और गर्मी में दी जाने वाली दवा ही अभी तक खा रहे हैं। उर्सला अस्पताल के निदेशक डॉ.एचडी अग्रवाल ने बताया कि सर्दी में बीपी अनियंत्रित होना एक सामान्य समस्या है। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए एहतियात बरतना जरूरी है। समय-समय पर बीपी मापते रहे। सर्दी में बीपी के अचानक घटने व बढ़ने का एक अहम कारण रक्त धमनियों के सिकुड़ना शामिल हैं। ऐसे गर्म पानी का सेवन कर सकते हैं।
बीपी की वजह से हार्ट फेल्योर और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
एलपीएस कार्डियोलॉजी में प्रोफेसर डॉ.अवधेश कुमार ने बताया कि रक्त धमनियों व हृदय पर अधिक दबाव पड़ने से बीपी बढ़ जाता है। इसके अलावा हार्ट रेट बढ़ने, हार्मोनल बदलाव, मौसम में निरंतर बदलाव, तला-भुना व अधिक नमक वाला खानपान की मात्रा अधिक होने व अधिक संवेदनशील होने से भी रक्तचाप बढ़ता है। वहीं, अधिक गुस्सा करने पर ब्रेन में एंड्रिनल हॉर्मोन का स्राव अधिक होता है। इससे ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। वहीं, इस हॉर्मान का स्राव कम होने से बीपी लो हो जाता है। बीपी अधिक होने से हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हो सकती है।
