Indian Textile Products:भारतीय बाजारों को लगा झटका, अमेरिकी बाजार में घटीं इंडियन क्लोथ्स की डिमांड  

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Published By Anjali Singh
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दिल्ली। अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर अगस्त में दो बार में उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के कारण जुलाई-सितंबर की तिमाही में कपड़ों के निर्यात में 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी। भारत टेक्स ट्रेड फेडरेशन के को-चेयरमैन भद्रेश डोढ़िया ने यूनीवार्ता के साथ एक विशेष बातचीत में बताया कि पिछली तिमाही जुलाई-सितंबर में अमेरिका को किया जाने वाला कपड़ा निर्यात 15 प्रतिशत घटा है। 

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इसमें और गिरावट की आशंका है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि जनवरी तक अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौता हो जायेगा और भारत की बाजार हिस्सेदारी पहले की तरह कायम रहेगी। यूरोपीय बाजार के बारे में श्री डोढ़िया ने कहा कि यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर बात चल रही है। यह समझौता होने के बाद भारतीय उत्पाद बांग्लादेश के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। 

इसके साथ ही बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अशांति का लाभ भी भारत को मिलेगा और कुल मिलाकर 20 से 25 प्रतिशत मांग बांग्लादेश से भारत की तरफ स्थानांतरित होने की उम्मीद है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कपड़ों पर करों में कमी के बारे में उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग के लिए जीएसटी के दो पहलू हैं - एक है कपास और दूसरा मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ)। भारत एक कपास आधारित अर्थव्यवस्था थी। 

MMF पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता था और कपास पर पांच प्रतिशत। नयी पीढ़ी की GST में सभी तरह के फाइबर पर एक समान पांच प्रतिशत कर लगाया गया है। इससे भारतीय उत्पाद सस्ते हुए हैं और दुनिया में प्रतिस्पर्धी बने हैं। वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद (एपीईसी) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि वस्त्र उद्योग में पहले ज्यादा जीएसटी वाले कपड़ों के मामले में उद्यमों को रिटर्न नहीं मिल पाता था, इसलिए वे इसका लाभ ग्राहकों को नहीं दे पाते थे। 

अब रिफंड मिलेंगे जिससे कीमतें कम हो जायेंगी, इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा। निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी होंगे। घरेलू बाजार पर जीएसटी के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर श्री सेखरी ने कहा कि इसका असर निश्चित रूप से घरेलू बाजार पर देखने के लिए मिलेगा और बिक्री बढ़ेगी लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा। अगले साल के बजट में केंद्र सरकार से उम्मीद के बारे में श्री डोढ़िया ने कहा कि कपड़ा उद्योग त्वरित मूल्य ह्रास की अपेक्षा करता है। 

इससे निवेश बढ़ेगा मगर इसके साथ ही उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के दूसरे चरण की भी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आज पूरा का पूरा कपड़ा मूल्य शृंखला आयात पर अत्यधिक निर्भर है और घरेलू उत्पादन भी होता है। हम चाहेंगे कि इसे संरेखित किया जाये और आयात शुल्क जिन वस्तुओं पर जरूरी हो उन्हीं पर लगाना चाहिये। इससे घरेलू उद्योग लाभांवित होंगे। 

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