कानपुर : आतंकियों पसंदीदा पनाहगाह हैं शहर के कुछ ठिकाने, एक्टिव हुईं खुफिया एजेंसियां, खंगाल रही रिकार्ड

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

मादक पदार्थों, जानवरों की खालों और हथियारों की तस्करी के साथ जाली नोटों का कारोबार भी खूब फैलाया

विशेष संवाददाता/ कानपुर। कानपुर के कुछ इलाके आतंकवादियों के खास ठिकाने रहे हैं, जहां से वे अपने आकाओं को सूचनाएं पहुंचाने के साथ गैरकानूनी धंधे में भी लिप्त रहे l कुछ बड़े अपराधी गिरोह भी इनके संपर्क में रहे थे l अब खुफिया एजेंसियाँ एक बार फिर सक्रिय हैं l अयोध्या में ढांचा ध्वस्त होने के बाद आईएसआई ने कानपुर में अपना बड़ा नेटवर्क बढ़ाया था l

पुलिस रिकार्ड के मुताबिक 1995 में तत्कालीन के एसपी संजय तरडे ने एक सूचना पर हिज़बुल मुजाहिदीन के संदेशवाहक को सेना के हैण्डग्रेनेड के साथ गिरफ्तार किया था, जो बेकनगंज में ठहरे अपने दो साथियों के साथ मिलकर गड़बड़ी वारदात की फिराक में था l ये दोनों शॉल बेचने के बहाने यहां ठहरे थे l 20 मार्च 1998 को तत्कालीन थाना प्रभारी आरके सिंह और उनकी टीम ने आईएसआई एजेंट नदीम को पकड़कर पूछताछ की तो पता लगा कि वह साथी परवेज सहित बेकनगंज और आसपास ठिकाना बदलकर ठहरते थे l

यह भी पता लगा था कि बेकनगंज का ही अब्दुल और उसका भाई खलीक भी आईएसआई के लिए काम कर रहे, सूचनाएं आकाओं तक पहुंचाने के साथ अपना नेटवर्क विस्तार करने में जुटे थे l 1995 को अनवरगंज के खैयाम को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया और उसकी निशादेही पर अनवरगंज के मकान में छापा मारकर सात चीनी पिस्टलें बरामद की गई थीं l

खैयाम आईएसआई के इशारे पर हथियारों की तस्करी करता था l उसी दौरान एसटीएफ ने कानपुर के अकील को पकड़ा था, जो आईएसआई से जुड़ा था l इसी तरह अज़हर नाम के एक आतंकी ने ब्रेनवाश करने वाली कैसेटों की खेप कानपुर भेजी थी l 1994 में बाबूपुरवा में हुई तत्कालीन पार्षद काला बच्चा की हत्या में आईएसआई का हाथ बताया गया था l घटना के बाद भड़के दंगों में कई लोग मारे गए थेl

भनक ही नहीं लगी कि अब्दुल आतंकी है 
अक्टूबर 1997 में घंटाघर में साईकिल में ज़बरदस्त विस्फोट हुआ तो उसमें सवार अब्दुल बुरी तरह जख़्मी हुआ हुआ था, उसे उर्सला में भर्ती करवाया गया और उसके खिलाफ विस्फोटक रखने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई थी l वह कुछ महीने बाद ठीक हो गया था, जेल गया और जमानत के बाद फरार हो गया l कुछ दिन बाद दिल्ली से पुलिस ने उसे उसके भाई सहित हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी में गिरफ्तार किया तो पता लगा दोनों भाई आईएसआई के लिए काम करते हैं l

काजल और बबली का नेटवर्क..
1998 के आसपास ग्वालटोली के टैफ्को तिराहे पर पुलिस ने दाऊद के साथी अज़हर के खास देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त आरिफ चौड़ा को मुठभेड़ में मार उसके गिरोह की  बबली को गिरफ्तार किया था l तब पता लगा कि वह खूबसूरत बबली और काजल के जरिये हथियारों की खेप इधर-उधर करते हैं l और लड़कियों के नाम भी पता लगे थे, इसके बाद जांच आगे नहीं बढ़ी l

मेज़र खुर्रम का भी जाल 
12 जून 1999 को बेकनगंज के एक पीसीओ से एसटीएफ ने आईएसआई एजेंट मोहम्मद ज़फर को गिरफ्तार किया था l पूछताछ में पता लगा कि वह सूचनाएं इकठ्ठा  पाकिस्तान के मेज़र खुर्रम तक पहुंचता था और पूरे शहर में नेटवर्क बढ़ा रहा था l

नकली नोट, मादक पदार्थ और जाली नोटों का धंधा..
वर्ष 1995 से 2007 के बीच जाली नोटों, मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी के कई मामले पकड़े गए, जिनका इस्तेमाल देश विरोधी गतिविथियों में किया जा रहा था और अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई जा रही थी l आरिफ चौड़ा की साथी हथियारों की तस्करी नेटवर्क से जुड़ी बबली जेल गई तो उसका संपर्क डीटू गैंग के रफीक से हो गया और वह उससे जुड़ गई l डीटू गैंग दाऊद गैंग से जुड़ा था जो राष्ट्रविरोधी काम में लिप्त था l

उस दौरान कोतवाली, नजीराबाद सहित कई थानों में आए दिन जाली नोट पकड़े जाने की अनेकों रिपोर्ट दर्ज होती थीं l नेपाल के जरिये जाली नोट कानपुर भेजे जा रहे हैं l रेलबाजार, मूलगंज, चमनगंज बेकनगंज और अनवरगंज में सक्रिय नफीसा खुतरी और फरज़ाना सहित दर्जनभर लड़कियों के गैंग मादक पदार्थ के धंधे में लिप्त थे l खाल तस्करी का जाल भी एसटीएफ ने पकड़ा था l

शहर के बाहरी इलाकों में बनाए ठिकाने 
कानपुर के बेकनगंज, चमनगंज, अनवरगंज, मूलगंज, रेलबाजार इलाके में ख़ुफ़ियातंत्र सक्रिय हुआ तो देश विरोधी तत्वों ने कल्याणपुर, सचेडी, बिधनू, बर्रा, बाबूपुरवा, जाजमऊ, बिधनू, नौबस्ता, देहात के भोगनीपुर की ओर रुख किया और फिर झांसी तक अपना नेटवर्क बनाया l खुफिया एजेंसियों की नज़र में है l उन पर भी नज़र है जो अचानक अरबपति और करोड़पति बन बैठे हैं l

संबंधित समाचार