ओवरलोडिंग में करोड़ों का खेल, सिंडिकेट का भंडाफोड़... एआरटीओ, पीटीओ, दीवान और दलालों समेत 9 पर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट दर्ज

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Published By Muskan Dixit
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एसटीएफ और मड़ियांव पुलिस की संयुक्त टीम ने दलाल समेत दो को किया गिरफ्तार

लखनऊ, अमृत विचार: यूपी एसटीएफ और मड़ियांव पुलिस ने परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और ओवरलोड वाहनों के सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। टीम ने एक दलाल और एक डंपर चालक को गिरफ्तार कर उनके पास से पांच मोबाइल, दो रजिस्टर, खनन दस्तावेज, एक मौरंग लदा डंपर, ब्रेजा कार और 11,500 रुपये बरामद किए हैं। एआरटीओ, पीटीओ, दो दीवान और दलालों समेत नौ लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार समेत गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

एसटीएफ इंस्पेक्टर ज्ञानेंद्र कुमार राय के मुताबिक, दलाल ओवरलोड वाहनों को पास कराने के नाम पर प्रति ट्रक 7 हजार रुपये वसूलते थे। इसमें से पांच से छह हजार रुपये एआरटीओ व पीटीओ तक पहुंचाए जाते थे। आरोपी अभिनव पांडेय निवासी सिधौली सीतापुर (हालपता मड़ियांव) को भिठौली ओवरब्रिज के पास से पकड़ा गया। पूछताछ में उसने बताया कि उसका भाई रितेश पांडेय उर्फ सानू परिवहन विभाग के अधिकारियों से सेटिंग कर ट्रांसपोर्टरों और ट्रक मालिकों से उगाही करता है।

अभिनव के इशारे पर पुलिस ने आईआईएम रोड से एक मौरंग लदा डंपर रोका, जिसका चालक कपिल (कानपुर नगर) पकड़ा गया। उसने बताया कि वाहन हमीरपुर की खदान से मौरंग लेकर सीतापुर जा रहा था और मालिक ने कहा था कि “महीने का शुल्क अभिनव पांडेय के माध्यम से आरटीओ को दिया जा चुका है।” वाहन का वजन कराने पर 66.34 टन पाया गया।

अभियान के दौरान एसटीएफ को जानकारी मिली कि आरोपी प्रति गाड़ी का पूरा रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज करते थे — जिसमें वाहन संख्या, ट्रांसपोर्टर का नाम, रकम और अधिकारियों को दी गई हिस्सेदारी का विवरण शामिल था। जांच में यह भी सामने आया कि यह सिंडिकेट पिछले करीब 14 वर्षों से सक्रिय है।

एसटीएफ को अभिनव के मोबाइल में UNDERLOD01 नाम से व्हाट्सएप ग्रुप मिला जिसमें 122 सदस्य हैं। इसमें ओवरलोड वाहनों की लोकेशन, पासिंग और क्लियरेंस के ऑडियो-मैसेज मिलते थे। मोबाइल की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है।

हमीरपुर से पूर्वांचल तक फैला नेटवर्क

आरोपी चालक कपिल के अनुसार, ओवरलोड वाहनों का नेटवर्क हमीरपुर से लखनऊ होते हुए पूर्वांचल तक फैला है। रास्ते में परिवहन विभाग के कई अधिकारियों की मिलीभगत से किसी भी वाहन को नहीं रोका जाता।

14 साल पुराना सिंडिकेट

बरामद रजिस्टर में 2011 से अब तक के लेनदेन का विवरण मिला है। इसमें रकम, ट्रांसपोर्टर और वाहन संख्या दर्ज है। आरोपी अभिनव ने स्वीकारा कि उसने ब्रेजा कार की किश्तें इसी अवैध कमाई से चुकाईं।

 

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