नील गाय के बच्चे को कानपुर जू ने दी नई जिंदगी: अमृत विचार के प्रयास पर वन मुख्यालय ने दिए थे निर्देश, पहली बार चिड़ियाघर में डाली गई बोन प्लेट

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Published By Anjali Singh
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प्रशांत सक्सेना/ लखनऊ, अमृत विचार : कानपुर चिड़ियाघर के चिकित्सकों ने 10 दिन के नील गाय के बच्चे के कटे पैर की सर्जरी करके एक तरफ उसे नया जीवनदान दिया है तो दूसरी तरफ नील गाय के केस में पहली बार बोन प्लेट डालकर प्रदेश में एक मिसाल कायम की है।

दरअसल, उन्नाव के हसनगंज में धान कटाई के दौरान कंबाइन मशीन से नील गाय के दो बच्चे चपेट में आए। एक की मौके पर मौत हो गई। दूसरे का आगे का एक पैर कटकर लटकने लगा। वहां की संस्था हनुमंत जीव आश्रय ने बच्चे का रेस्क्यू किया और चिकित्सकों को दिखाया। 

किसी ने पैर काटने की तो किसी ने सर्जरी से बोन प्लेट डालने की सलाह दी। जो वन के नियमों के अनुसार अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में जीव आश्रय ने वन विभाग को सूचित किया, लेकिन जिले स्तर पर ऐसे केस में वन और पशुपालन विभाग के पास सर्जरी की कोई व्यवस्था नहीं है। 

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जब यह मामला अमृत विचार के संज्ञान में आया तो वन मुख्यालय लखनऊ के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया तो उनके निर्देश पर 20 नवंबर को डीएफओ उन्नाव आरुषी ने बच्चे का रेस्क्यू कराकर कानपुर चिड़ियाघर भेजा। जहां चिकित्सकों के दल ने बोन प्लेट डालकर उसका पैर कटने से बचाते हुए नया जीवनदान दिया है। चिकित्सकों की निगरानी में वह पूरी तरह से स्वस्थ भी है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के चिड़ियाघर में नील गाय के केस में पहली बार बोन प्लेटिंग सर्जरी की है।

ऐसे मामलों की वन विभाग को देनी होती है सूचना

जंगली जीव बीमार या घायल मिलने पर वन विभाग को सूचित किया जाता है। संबंधित विभाग द्वारा रेस्क्यू करके पशुपालन के चिकित्सकों से रेंज पर रखकर उपचार कराया जाता है। एनजीओ या फिर निजी चिकित्सक इन्हें लेने और उपचार के लिए अधिकृत नहीं है। गंभीर स्थिति में रेंज में उपचार की व्यवस्था न होने मुख्यालय के निर्देश पर चिड़ियाघर भेजा जाता है।

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