उत्तराखंड में अब 200 की मरम्मत 2000 में होगी... लाइसेंस और तकनीकी प्रशिक्षण अनिवार्य नीति से मैकेनिकों में गुस्सा, सरकार के प्लान पर उठाए सवाल 

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Published By Muskan Dixit
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देहरादून। उत्तराखंड परिवहन विभाग राज्य में सड़क किनारे ऑटोमोबाइल वर्कशॉप चलाने वाले मैकेनिकों के लिए लाइसेंस, तकनीकी प्रशिक्षण और न्यूनतम मानक अनिवार्य करने की नई नीति तैयार कर रहा है। देहरादून के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) संदीप सैनी ने कहा कि मसौदा नीति को उत्तराखंड मोटर यान नियम में शामिल करने की तैयारी चल रही है। 

उन्होंने कहा कि राज्य में बड़ी संख्या में मोटर वर्कशॉप बिना किसी अधिकृत मानक, प्रशिक्षण या प्रमाणपत्र के चल रही हैं, जो सड़क सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है। सैनी ने 'पीटीआई वीडियो' को बताया, “सड़क किनारे चलने वाली ज़्यादातर वर्कशॉप बिना किसी मंजूरी के चल रही हैं। कई मैकेनिक बिना कौशल विकास के सिर्फ स्थानीय जानकारी पर काम कर रहे हैं, जबकि आज की गाड़ियां पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड सिस्टम पर आधारित हैं। गलत मरम्मत सड़क हादसों का कारण बन सकती है।” 

सैनी ने बताया कि नई नीति के तहत मैकेनिकों के लिए कौशल विकास पाठयक्रम अनिवार्य करने पर भी विचार हो रहा है। हालांकि, इस प्रस्तावित नीति को लेकर उसका विरोध शुरू हो गया है। मैकेनिकों की चिंता है कि इसके लागू होने से उनकी रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो जाएगा। एक मैकेनिक कमर ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “सरकार की सोच गरीबी हटाने की नहीं, गरीब हटाने की लगती है। पढ़े-लिखे लोग बेरोज़गार घूम रहे हैं और जो अशिक्षित लोग अपने हुनर से काम कर रहे हैं, उनके रोजगार खत्म करने की तैयारी हो रही है।” 

पचास वर्षीय मैकेनिक इरफ़ान अहमद ने भी सवाल उठाया कि वह पिछले 20-25 साल से यही काम कर रहे हैं और अब वह डिप्लोमा कहां से लाएं। हालांकि, उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने प्रस्तावित नीति को उचित ठहराते हुए उसे आधुनिक तकनीक के अनुरूप आवश्यक सुधार बताया। उन्होंने कहा, “लाइसेंस होने से मैकेनिक बेहतर ढंग से काम कर पाएंगे और आधुनिक तकनीक से जुड़े रहेंगे। यह नीति किसी पर हमला नहीं, बल्कि समाज को सक्षम बनाने की दिशा में कदम है।” 

शम्स ने कहा कि मुस्लिम समाज के कई लोग पारंपरिक रूप से इस पेशे से जुड़े हैं, और तकनीक बदलने के साथ अब शिक्षा और प्रशिक्षण जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा, “सिर्फ अनुभव काफी नहीं है। नई गाड़ियां इलेक्ट्रिक और चिप आधारित तकनीक पर चलती हैं। तकनीकी ज्ञान के बिना काम संभव नहीं है।” शम्स ने उन लोगों की आलोचना भी की जो इस नीति को “नफरत फैलाने” का मुद्दा बता रहे हैं। 

उन्होंने कहा, “मुस्लिम बच्चे मैकेनिकल इंजीनियर क्यों नहीं बन सकते? उन्हें पढ़ने से किसने रोका? लाइसेंस और प्रशिक्षण उन्हें आगे ले जाएगा।” वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस नीति को “गरीब विरोधी” बताया और कहा कि सरकार अपने हुनर पर काम करने वाले लोगों की रोज़ी-रोटी पर हमला कर रही है जो पढ़े लिखे नहीं हैं।। 

उन्होंने आरोप लगाया, “लाइसेंस की बाध्यता भ्रष्टाचार बढ़ाएगी और आम लोगों को परेशान करेगी। आज 100-200 रु में होने वाली मरम्मत हजारों में पड़ेगी।” 

रावत ने दावा किया कि सरकार बड़े वर्कशॉप मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए सड़क किनारे छोटी दुकानों पर कठोर नीति लागू कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नई नीति उन समुदायों को निशाना बनाएगी जो बड़े पैमाने पर इस काम से जुड़े हुए हैं। 

हालांकि, परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अभी नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है और उसे अंतिम रूप दिए जाने से पहले सभी हितधारकों के सुझाव लिए जाएंगे। 

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