कफ सिरप कांड: 22 माह पहले शासन ने गठित की थी संयुक्त टीम, धरा गया बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह
लखनऊ, अमृत विचार। फेंसेडिल कफ सिरप व कोडीन युक्त अन्य दवाओं को नशे के रुप में प्रयोग करने के लिए अवैध भंडारण व कारोबार किया जा रहा था। इस कारोबार से जुड़े तस्कर व सफेदपोश दवाओं की उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश में धड़ल्ले से तस्करी कर रहे थे। इसकी जानकारी होने पर विभागीय जांच कराई गई। जांच में पुष्टि होने पर 12 फरवरी 2024 को प्रदेश शासन ने एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग की संयुक्त जांच समिति का गठन किया।
जांच में भारी मात्रा में फेंसेडिल कफ सिरप को बरामद किया गया। सुशांत गोल्फ सिटी थाने में रिपोर्ट दर्ज किया गया। शासन ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी। एएसपी लाल प्रताप सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडेय की टीम ने जांच शुरू किया। जांच के दौरान सहारनपुर के शास्त्रीनगर निवासी सगे भाइयों विभोर राणा व विशाल सिंह का नाम सामने आया। दोनों को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया। इसके बाद 27 नवंबर को अमित कुमार सिंह टाटा को गिरफ्तार किया गया। जांच के दौरान और आरोपी से पूछताछ में बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह का नाम सामने आया। उसकी तलाश की जाने लगी। मंगलवार को उसे दबोच लिया गया।
फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी
पूर्व मुख्यमंत्री का भी था करीबी बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह पूर्व मुख्यमंत्री व सपा प्रमुख अखिलेश यादव का भी करीबी बताया जा रहा है। उसकी कई तस्वीरें पूर्व मुख्यमंत्री के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें एक तस्वीर में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह और दो अन्य लोग है। तीनों लोग पूर्व मुख्यमंत्री को एक तस्वीर भेंट कर रहे हैं। एसटीएफ इस बिंदु पर भी जांच कर रही है कि आलोक के किन राजनेताओं के करीबी रिश्ते थे।
