Bareilly: भारतीय भैंस की प्रजाति ''ब्लैक गोल्ड'' के संरक्षण पर जोर

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Published By Monis Khan
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बरेली, अमृत विचार। आईवीआरआई में आयोजित राष्ट्रीय भैंस विकास सम्मेलन में मंगलवार को आयोजित समापन सत्र में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भैंस पोषण सुरक्षा और आजीविका का महत्वपूर्ण आधार रही है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में आज भी भैंसों को संपत्ति के रूप में देखा जाता है। सम्मेलन में भारतीय प्रजाति की भैंस ब्लैक गोल्डन प्रजाति के संरक्षण की जरूरत बताई गई।

आईवीआरआई में आयोजित राष्ट्रीय भैंस विकास सम्मेलन-2025 का मंगलवार को समापन हो गया। समापत्र सत्र में मुख्य अतिथि केसीएमटी के महानिदेशक डॉ. अमरेश कुमार ने कहा कि भैंस भारत की ''ब्लैक गोल्ड'' है। यह केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पोषण सुरक्षा और आजीविका का महत्वपूर्ण आधार रही है। इसे हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भैंस को पारंपरिक रूप से संपत्ति के रूप में देखा जाता था। पहले भैंस केवल दूध देने वाला पशु नहीं थी, बल्कि ग्रामीण जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा थी। इसलिए इसका संरक्षण जरूरी है। सम्मेलन में भैंस अनुसंधान एवं विकास से जुड़े वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, विकास अधिकारियों और निजी क्षेत्र के बीच सार्थक संवाद हुआ।

आईवीआरआई के संयुक्त निदेशक (शोध) एवं कार्यवाहक निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन भैंस अनुसंधान एवं विकास से जुड़े वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और निजी क्षेत्र के बीच सार्थक संवाद का सशक्त मंच बना है। उन्होंने भैंसों को एक विशिष्ट प्रजाति मानते हुए संरक्षण, प्रजनन सुधार, गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन और किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए विशेष नीतिगत पहलों की आवश्यकता पर जोर दिया। इंडियन सोसाइटी फॉर बफ़ेलो डेवलपमेंट के अध्यक्ष एवं बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि भारत के पास विश्व की लगभग 56 प्रतिशत भैंस आबादी है और वैश्विक भैंस दुग्ध उत्पादन में देश का योगदान करीब 68 प्रतिशत है। 

आयोजन सचिव डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया सम्मेलन में 140 से अधिक शोध सार (एब्स्ट्रैक्ट्स) मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतियों के रूप में प्रस्तुत किए गए। सभी को संकलित कर नीति-सुझाव पुस्तिका तैयार की जाएगी, ताकि भैंस विकास से जुड़े निर्णय वैज्ञानिक आधार पर लिए जा सकें। विश्वास जताया यह सम्मेलन भैंस आधारित पशुपालन के भविष्य के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। इससे पूर्व हरी अब्दुल समद ने बताया कि सम्मेलन में देश-विदेश से लगभग 230 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें वैज्ञानिक, शिक्षाविद, नीति निर्माता, उद्योग प्रतिनिधि, विकास अधिकारी, शोधार्थी व छात्र शामिल रहे। संस्थान के सभी संयुक्त निदेशकों सहित पूर्व निदेशकों, वेज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित रहे।

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