सर्दियों में दिल की देखभाल: OPD में हृदय रोगियों की संख्या में इजाफा, डॉक्टरों की सलाह 'कसरत जरूरी'

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

लखनऊ, अमृत विचार : ठंड बढ़ने के साथ ही दिल के मरीजों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। अस्पतालों की ओपीडी में हृदय रोगियों की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत तक इजाफा दर्ज किया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि सर्द मौसम में हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में मरीजों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है।

केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो. अक्षय प्रधान ने बताया कि ठंड में खासकर सुबह के समय उच्च रक्तचाप की समस्या अधिक देखी जाती है। ठंड के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट और खून के थक्के बनने की आशंका बढ़ जाती है। इससे दिल को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि नियमित कसरत, योग और दवाओं का सही समय पर सेवन कर इन जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

प्रो. प्रधान के अनुसार यदि ठंड के कारण मॉर्निंग वॉक संभव न हो तो घर के अंदर ही 30 से 40 मिनट तक हल्की कसरत या योग करना चाहिए। जिन मरीजों का दिल का ऑपरेशन हो चुका है, वे भी चिकित्सकीय सलाह के अनुसार नियमित टहलें और व्यायाम करें। साथ ही धूम्रपान से बचें और नमक का सेवन सीमित रखें।

लोहिया संस्थान के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने बताया कि ओपीडी में अधिकतर मरीज घबराहट, दिल की धड़कन तेज होने, नींद में कमी, ब्लड प्रेशर गड़बड़ाने और सांस लेने में परेशानी जैसी शिकायतों के साथ पहुंच रहे हैं। जिन परिवारों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी का इतिहास है, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

डॉ. भुवन ने बाहर की तली-भुनी चीजों से परहेज की सलाह देते हुए कहा कि एक ही तेल को बार-बार इस्तेमाल करने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। ठंड में धूप निकलने पर ही बाहर टहलें, अन्यथा घर के भीतर ही चलें। बुजुर्गों को पर्याप्त गर्म कपड़े पहनकर ही बाहर निकलना चाहिए। सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. डीसी पांडेय ने बताया कि ठंड बढ़ने से कुछ दिनों से कार्डियोलॉजी ओपीडी में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। घबराहट, धड़कन बढ़ने, नींद में कमी और ब्लड प्रेशर गड़बड़ाने जैसे लक्षणों के साथ मरीज आ रहे हैं।

लेटने पर सांस फूलना हार्ट फेल्योर का संकेत

डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने बताया कि यदि लेटने पर सांस लेने में दिक्कत हो और बैठने पर राहत मिले तो इसे नजरअंदाज न करें। यह हार्ट फेल्योर का संकेत हो सकता है। समय पर इलाज से मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है।
ठंड और प्रदूषण से सांस रोगी भी परेशान

ठंड के साथ बढ़े प्रदूषण के कारण अस्थमा और निमोनिया के मरीजों की संख्या भी 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ी है। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि नमी और कोहरे के कारण प्रदूषण के कण निचली सतह पर ही रहते हैं, जिससे सांस के जरिए वे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। बलरामपुर अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि मरीजों को दवा के साथ बचाव के उपाय भी बताए जा रहे हैं।

ये भी पढ़े : 
एसजीपीजीआई के छठे शोध दिवस पर 330 शोध पत्र हुए प्रदर्शित : भविष्य में बदलेगा तरीका, जीनोम आधारित होगा इलाज

संबंधित समाचार