अहमदाबाद हादसे से इंडिगो संकट तक... भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए चुनौतियों भरा रहा पूरा साल रहा 2025

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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नई दिल्ली: साल 2025 भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए बेहद मुश्किल भरा रहा। जहां एक तरफ जून में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 का अहमदाबाद में भयानक क्रैश हुआ, जिसमें 241 लोगों की जान गई, वहीं दिसंबर में इंडिगो की हजारों फ्लाइट्स कैंसल होने से लाखों यात्री परेशान हुए। इन बड़े संकटों के बीच पैसेंजर ग्रोथ सुस्त रही और ऑपरेशनल चुनौतियां बढ़ीं।

साल की शुरुआत अच्छी थी – पहले तीन महीनों में पैसेंजर्स की संख्या 10% से ज्यादा बढ़कर 4.32 करोड़ हो गई। लेकिन अप्रैल में पहलगाम में आतंकी हमले ने सब बदल दिया, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए। इसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ा, दोनों देशों ने एक-दूसरे के एयरस्पेस पर बैन लगा दिया, जो अब भी जारी है। इससे रूट्स लंबे हो गए, फ्यूल खर्च बढ़ा और कई इंटरनेशनल फ्लाइट्स प्रभावित हुईं।

फिर आया जून का वो काला दिन – 12 जून को एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ के तुरंत बाद क्रैश हो गई। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराया और आग का गोला बन गया। 242 में से सिर्फ एक पैसेंजर जिंदा बचा, जबकि ग्राउंड पर भी 19 लोगों की मौत हुई। प्रारंभिक जांच में पायलट एरर या टेक्निकल फेलियर की बात सामने आई, लेकिन फाइनल रिपोर्ट अभी बाकी है। इस हादसे ने पूरे सेक्टर की सेफ्टी पर सवाल उठाए।

हादसे के बाद पैसेंजर नंबर्स गिरते गए। DGCA के आंकड़ों से पहले 10 महीनों में ग्रोथ सिर्फ 3.97% रही – कोविड के बाद सबसे कम। मई में ग्रोथ महज 1.89% थी।

दिसंबर में इंडिगो का संकट चरम पर पहुंचा। 1 नवंबर से लागू नए पायलट ड्यूटी रूल्स (48 घंटे वीकली रेस्ट, नाइट ड्यूटी लिमिट्स) के कारण क्रू शॉर्टेज हुई। इंडिगो ने दिसंबर में हजारों फ्लाइट्स कैंसल कीं – 5 दिसंबर को अकेले 1500 से ज्यादा! एयरपोर्ट्स पर यात्रियों का गुस्सा फूटा, बैगेज का अंबार लग गया और ट्रस्ट कम हुआ। सरकार ने जांच कमिटी बनाई और इंडिगो को कुछ रिलैक्सेशन दिए।

सकारात्मक पक्ष भी रहा – नए एयरपोर्ट्स और टर्मिनल्स खुले, जैसे नवी मुंबई एयरपोर्ट 25 दिसंबर से कमर्शियल ऑपरेशंस शुरू करेगा। पटना, गुवाहाटी को नए टर्मिनल मिले और पूर्णिया से फ्लाइट्स शुरू हुईं।

कुल मिलाकर, 2025 एविएशन सेक्टर के लिए सबक भरा साल रहा। बड़े क्राइसिस हावी रहे, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने उम्मीद जगाई। आने वाले साल में सेफ्टी, प्लानिंग और ग्रोथ पर फोकस जरूरी होगा।

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