Cyclone Ditwah : चक्रवाती तूफान दित्वा की तबाही से जूझ रहा श्रीलंका, भारत करेगा 450 मिलियन डॉलर की मदद

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

कोलंबो। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत को चक्रवात दित्वा के दौरान श्रीलंका के साथ खड़ा रहने पर गर्व है और उसने द्वीप देश को 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर के सहायता पैकेज का प्रस्ताव दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विशेष दूत के रूप में श्रीलंका आए जयशंकर ने ये टिप्पणियां श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेरात की मौजूदगी में कीं। उन्होंने मोदी का एक पत्र राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके को भी सौंपा। 

जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘चक्रवात दित्वा के दौरान श्रीलंका के साथ खड़े रहने पर भारत को गर्व है।’’ श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने कहा, ‘‘श्रीलंका 2022 के आर्थिक संकट से उबर ही रहा था कि तभी इस प्राकृतिक आपदा ने नयी कठिनाइयां पैदा कर दी हैं।’’ 

जयशंकर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने निर्देश दिया कि हम श्रीलंका सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर उनसे बातचीत करें। उस संदर्भ में हमने जिस सहायता पैकेज का प्रस्ताव दिया है उसकी राशि 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पैकेज में 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रियायती ऋण और 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता शामिल होगी।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका सरकार के साथ परामर्श करके इस पैकेज को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हमारी सहायता उन क्षेत्रों को कवर करेगी जो चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, जिनमें पहला क्षेत्र- सड़क, रेल और पुल संपर्क की पुन: बहाली है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा- जो घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और जिन्हें आंशिक नुकसान हुआ है, उनके निर्माण में मदद करना। 

तीसरा- स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणालियों के लिए सहयोग, खासकर वे जो चक्रवात से क्षतिग्रस्त हुई हैं। चौथा- कृषि क्षेत्र, जिसमें अल्पावधि और मध्यम अवधि में संभावित कमी से निपटने के उपाय शामिल हैं तथा पांचवां क्षेत्र- बेहतर आपदा प्रतिक्रिया और तैयारियों की दिशा में काम करना है।’’ जयशंकर ने कहा कि नुकसान के पैमाने को देखते हुए भारत का श्रीलंका की मदद के लिए आगे आना स्वाभाविक है। 

उन्होंने कहा कि ‘दित्वा’ के श्रीलंका पहुंचने के पहले ही दिन भारत का ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू हो गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि कोलंबो में मौजूद थे और उन्होंने राहत सामग्री पहुंचाई, जिसके बाद हेलीकॉप्टर तैनात किए गए।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना के कई ‘एमआई-17’ हेलीकॉप्टर ने श्रीलंका में दो सप्ताह से अधिक समय तक मदद पहुंचाई जबकि 80 सदस्यीय राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीम ने बचाव और राहत कार्य किया। उन्होंने बताया कि ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत कुल मिलाकर 1,100 टन से अधिक राहत सामग्री पहुंचाई गई, जिसमें सूखा राशन, तंबू, तिरपाल, स्वच्छता किट, आवश्यक वस्त्र और जल शोधन किट शामिल थीं।

जयशंकर ने कहा कि करीब 14.5 टन दवाइयां और चिकित्सकीय उपकरण भी उपलब्ध कराए गए तथा राहत कार्यों में सहायता के लिए 60 टन अतिरिक्त उपकरण श्रीलंका लाए गए। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘सेना के इंजीनियरों ने किलिनोच्ची में सी-17 विमानों से लाए गए बेली पुल का निर्माण किया। चिल्लाल में एक और बेली पुल का निर्माण फिलहाल जारी है।’’ 

जयशंकर ने श्रीलंका की सहायता के अन्य तरीकों का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी निर्भर है, इसलिए भारत श्रीलंका में भारतीय पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, भारत से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि इस महत्वपूर्ण समय में आपकी अर्थव्यवस्था को बल दे सकती है। हमने अतीत में श्रीलंका का मजबूत संकल्प देखा है। भारत पहले से कहीं अधिक दृढ़ता से श्रीलंका के साथ खड़ा है।’’ 

संबंधित समाचार