बैज्ञानिक : जगदीश चंद्र बोस: पादप संवेदनशीलता के अग्रदूत
प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चंद्र बोस का नाम आधुनिक विज्ञान के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। वे न केवल एक महान भौतिक विज्ञानी थे, बल्कि जीवविज्ञानी और आविष्कारक के रूप में भी उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के बीच की सीमाओं को तोड़ते हुए ऐसे शोध किए, जिन्होंने प्रकृति और जीवों के प्रति मानव की समझ को एक नई दिशा प्रदान की।
जगदीश चंद्र बोस का सबसे प्रसिद्ध आविष्कार क्रेस्कोग्राफ है। यह एक अत्यंत संवेदनशील वैज्ञानिक उपकरण था, जिसकी सहायता से पौधों की सूक्ष्म से सूक्ष्म गतिविधियों और वृद्धि को मापा जा सकता था। इस यंत्र के माध्यम से बोस ने यह सिद्ध किया कि पौधे केवल निर्जीव वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि वे भी बाहरी उद्दीपनों के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। उन्होंने प्रयोगों द्वारा दिखाया कि प्रकाश, ध्वनि, तापमान तथा रासायनिक पदार्थों जैसे कारकों का पौधों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
क्रेस्कोग्राफ की सहायता से बोस ने यह भी प्रमाणित किया कि पौधों में संवेदनशीलता और प्रतिक्रिया की क्षमता होती है, जो किसी हद तक तंत्रिका तंत्र जैसी प्रतीत होती है। इस खोज ने पादप तंत्रिका जीवविज्ञान की अवधारणा को जन्म दिया और पौधों के अध्ययन को एक नई वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान की। उनके प्रयोगों ने यह स्पष्ट किया कि पौधे अपने पर्यावरण को महसूस करते हैं और उसके अनुसार अपने व्यवहार में परिवर्तन करते हैं।
जगदीश चंद्र बोस के कार्यों ने न केवल पादप शरीर क्रिया विज्ञान की नींव को मजबूत किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सभी जीवित प्राणी किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रकृति के प्रति सम्मान और समग्रता की भावना को दर्शाता है। इस प्रकार, बोस का योगदान न केवल जीवविज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि संपूर्ण विज्ञान जगत के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।
