बरेली: कृषि भूमि ले ली, नहर भी निकाल दी, मुआवजा छह साल बाद भी नहीं दिया

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अमृत विचार, बरेली। बदायूं सिंचाई परियोजना के तहत रामगंगा नदी से दातागंज तहसील के हजरतपुर तक 46 किलोमीटर लंबी नहर खोदने के लिए वर्ष 2014 में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी उनमें कुछ किसानों के साथ अन्याय हुआ है। कुछ किसानों को सर्किल रेट के अनुसार अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दे दिया …

अमृत विचार, बरेली। बदायूं सिंचाई परियोजना के तहत रामगंगा नदी से दातागंज तहसील के हजरतपुर तक 46 किलोमीटर लंबी नहर खोदने के लिए वर्ष 2014 में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी उनमें कुछ किसानों के साथ अन्याय हुआ है। कुछ किसानों को सर्किल रेट के अनुसार अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दे दिया गया लेकिन भमौरा के नकटपुर के 12 से अधिक किसानों को छह साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला है।

सर्किल रेट से चार गुना अधिक करीब 28 लाख रुपये का मुआवजा लेने की मांग करते हुए किसान सेवाराम प्रभाकर की चप्पलें घिस गईं हैं लेकिन मुआवजा मिलने की दूर-दूर तक आस नहीं जगी। वे 45 से अधिक शिकायती पत्र बरेली से लेकर लखनऊ के अधिकारियों को भेज चुके हैं।

सेवाराम के प्रकरण में मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर प्रमुख सचिव सिंचाई, पूर्व डीएम पंकज कुमार से लेकर अन्य अधिकारी तक बाढ़ खंड के अधिकारियों को मुआवजा देने के आदेश दे चुके हैं लेकिन तानाशाही पर उतरे बाढ़ के अधिकारी सेवाराम प्रभाकर समेत 12 ग्रामीणों का मुआवजा देने को तैयार नहीं हैं।

गुरुवार को कलेक्ट्रेट स्थित विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय पहुंचे सेवाराम प्रभाकर पुत्र स्व.होरी लाल ने बताया कि वर्ष 2014 में बदायूं सिंचाई परियोजना के तहत रामगंगा नदी से दातागंज तहसील के हजरतपुर तक 46 किलोमीटर लंबी नहर खोदने के लिए 60 गांवों के सैकड़ों किसानों की भूमि आपसी समझौता के आधार पर अधिग्रहित की गयी। बाढ़ खंड भूमि पर नहर भी खोद चुका है।

बताया कि गाटा संख्या 75, 0.8380 हेक्टेयर भूमि को बाढ़ खंड वालों ने अपने कब्जे में लेकर उस पर 55 मीटर चौड़ी मुख्य नहर भी खोद दी। उनके खेत में सिर्फ एक बीघा भूमि बची है। वह गरीब हैं। किसानी के अलावा आय का अन्य कोई स्रोत भी नहीं है। भूमि पर नहर बनने से खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। इससे आर्थिक संकट गहरा गया है। जब भी अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड कैनाल कालोनी से मिलते हैं। हर बार यही समझा देते हैं कि मुआवजा देने की फाइल चल चुकी है। बता दें कि बदायूं सिंचाई परियोजना तत्कालीन अखिलेश सरकार में स्वीकृत हुई थी। अखिलेश सरकार ने 630 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।

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