बरेली: फ्रीहोल्ड कराकर 38000 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेची भूमि
अमृत विचार, बरेली। मॉडल टाउन निवासी हरीश अनेजा के नाम 20 अक्टूबर, 2000 को अक्षर विहार तालाब के किनारे 6284 वर्ग मीटर का भूखंड फ्रीहोल्ड हुआ था। तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने नजूल संग तालाब की भूमि का कुछ हिस्सा भी फ्रीहोल्ड करा दिया था। यह बात वर्ष 2014-15 में हुई जांच में भी साफ हो …
अमृत विचार, बरेली। मॉडल टाउन निवासी हरीश अनेजा के नाम 20 अक्टूबर, 2000 को अक्षर विहार तालाब के किनारे 6284 वर्ग मीटर का भूखंड फ्रीहोल्ड हुआ था। तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने नजूल संग तालाब की भूमि का कुछ हिस्सा भी फ्रीहोल्ड करा दिया था। यह बात वर्ष 2014-15 में हुई जांच में भी साफ हो चुकी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। जांच फाइल दबा दी गई थी। उसमें यह जिक्र था कि तालाब की जलमग्न भूमि भी मिट्टी डालकर पाटी गई।
इधर, जनवरी, 2019 में हरीश अनेजा के बेटे परिणय अनेजा और उनके भाई व बहन ने फ्रीहोल्ड कराई भूमि 20 लोगों को संयुक्त रूप से बेच दी। भूमि खरीदने वालों में संदीप झाबर ने बताया कि 38000 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 6284 वर्ग मीटर भूमि खरीदी है। उनके साथ अभिषेक अग्रवाल, आशुतोष अग्रवाल, राजा चावला, गुरुबचन, हनी चावला, मुनीश गर्ग, अभिलाष अग्रवाल, अनमोल, अनिरुद्ध अग्रवाल, मनीषा झाबर, संजय झाबर, आकाश चौधरी, लोहिता चौधरी, आनंद स्वरूप, आकाश चौधरी आदि ने खरीदी है। भूमि को तीन हिस्सों में बांटी।
एक में बैटमिंटन कोट का बड़ा हाल बना है। नीचे की साइड में गोभी, मटर, टमाटर, बैगन समेत अन्य सब्जियां भी उगाई जा रही थीं। इधर, संदीप झाबर के अनुसार नगर निगम और बीडीए की एनओसी उनके पास है, जिसमें साफ लिखा है कि यह भूमि जलमग्न का हिस्सा नहीं है। नगर निगम ने तालाब किनारे नाला निर्माण कराया। मौजूदा अधिकारियों ने उनकी एक ना सुनीं। कार्रवाई के खिलाफ सिविल कोर्ट में याचिका दायर की गई है। फ्रीहोल्ड भूमि को कब्जे की भूमि बताने वाले अधिकारियों को कोर्ट में जवाब देना पड़ेगा।
सात साल पहले भूमि तालाब व नजूल की नहीं, अब कैसे हो गई
लाभकौर तलवार ने फ्रीहोल्ड कराई 4298 वर्ग मीटर भूमि में से 17 नवंबर, 2012 को 2006.68 वर्ग मीटर भूमि गैन इन्फ्राकोन प्राइवेट लिमिटेड को बेची थी। इसके मालिक प्रिंस छाबड़ा हैं। प्रशासन की कार्रवाई के दौरान प्रिंस छाबड़ा के अधिवक्ता ने एसडीएम सदर को 2013 में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शिशिर का पत्र दिखाया। जिसमें साफ लिखा था कि यह भूमि न नजूल की है न तालाब की। सीलिंग में भी दर्ज नहीं है। नगर निगम और बीडीए की एनओसी भी दिखाई।
जमीन पर कब्जा न लेने के संबंध में सिविल कोर्ट का स्टे आर्डर भी दिखाया मगर अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं रोकी। छाबड़ा के अनुसार फ्रीहोल्ड भूमि को प्रशासन जबरन कब्जे में ले रहा है लेकिन सात साल पहले भूमि तालाब व नजूल की नहीं थी, अब कैसे हो गई। इसका जवाब अधिकारी नहीं दे रहे।
लाभकौर तलवार की कोठी परिसर में निकली तालाब की भूमि
जिलाधिकारी के निर्देश पर लाभकौर तलवार पत्नी स्व.अनंत राम के नाम 13 मार्च, 2012 को अक्षर विहार तालाब किनारे 4298 वर्ग मीटर का भूखंड फ्रीहोल्ड किया गया था। फ्रीहोल्ड भूमि में से आधी भूमि पर कोठी बनी है। कोठी में लाभकौर के बेटे किरन तलवार रह रहे हैं। नगर निगम और तहसील की टीम ने कोठी के परिसर में नापजोख की।
कुछ हिस्सा तालाब की भूमि का निकला। चूना डालकर कब्जे वाली भूमि पर चिन्हांकन किया। साथ ही चहारदीवारी तोड़ दी। पेड़ों की आड़ लेकर किए तारबाड़ को भी हटा दिया। इस दौरान वहां मौजूद किरन तलवार से बात की, तब उन्होंने बताया कि बीसों बार नापजोख कर चुके हैं। पहले फ्रीहोल्ड की। अब कब्जा बता रहे हैं।
