Rahim

रहीम का सृजनात्मक साहित्य: भारतीय सांस्कृतिक चेतना का खांटी प्रतिबिम्ब है

रहीम की ज्ञात कृतियाँ हैं- रहीम दोहावली (या रहीम सतसई), बरवै नायिका-भेद, नगर-शोभा, मदनाष्टक, रासपंचाध्यायी, खेटकौतुकम् और शृंगारसोरठ। इनके अतिरिक्त रहीम ने बाबर की चगताई भाषा में लिखी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ या ‘वाक़ियाते-बाबरी’ का फ़ारसी में अनुवाद भी किया था। पंडित मायाशंकर याज्ञिक ने उनके फुटकल कवित्तों, सवैयों और बरवै छंदों का एक संपूर्ण संग्रह ‘रहीम …
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रहीम का जीवन: त्रासद विडंबनाओं का अंतहीन दुष्चक्र

तुलसी की तरह रहीम को भी ज़माने ने बहुत सताया। लेकिन रहीम की ज़िंदगी में जितने भी उतार-चढ़ाव आए, उन्होंने अपने सहृदय अंतस को सहेजकर रखा, उसकी मृदुता को खँरोच तक न आने दी। उनकी अनुभूति, उनकी भाव-संपदा, उनकी अंतर्दृष्टि, जीवन और जगत के प्रति उनके सुलझे हुए विचार विडंबनाओं के चक्र पर घूम-घूमकर उलझने …
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मध्यकालीन भारत में सत्वग्राही ‘गंगाजमुनी’ के अग्रदूत थे अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना

रहीम ने सांस्कृतिक और भाषिक बहुलता तथा सत्ता, शास्त्र और लोकजीवन के संगम से ‘तौहीद’(अद्वैतवाद) की एक अद्भुत अलख जगाई थी। अजीब माजरा है की दिल, दिमाग़, और बुनियादी व्यवहार में भी, दुनिया के सभी अच्छे लोग एक से पाए जाते हैं, आज के ही नहीं, पहले के भी और शायद आगे आनेवाले समय में …
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