Jyotishacharya

लखनऊ: इस बार घोड़े पर सवार हो के आईं मां दुर्गा, ज्योतिषाचार्य बोले- शुभ नहीं है संकेत, युद्ध की जाता रहे आशंका

लखनऊ, अमृत विचार। चैत्र नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा पवित्र माना जाता है। 9 अप्रैल यानी आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है, 17 अप्रैल को नवमी के दिन इसका समापन होगा। इस बार...
उत्तर प्रदेश  लखनऊ 

Sarva Pitru Amavasya 2022: जिन पूर्वजों के देहावसान की तिथि ज्ञात न हो, सर्वपितृ अमावस्या को होता है उनका श्राद्ध…जानें पूर्वजों को प्रसन्न करने के उपाय

हल्द्वानी, अमृत विचार। 25 सितंबर 2022 दिन रविवार को सर्वपितृ अमावस्या (पितृ विसर्जन) श्राद्ध पक्ष का समापन होगा। सर्वपितृ अमावस्या में अज्ञात तिथि श्राद्ध भी किया जाता है (यानी जिन पूर्वजों के देहावसान की तिथि ज्ञात न हो उन सभी का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है)। जानी मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी बताती …
धर्म संस्कृति 

रामनगर में श्री तारा प्रसाद दिव्य पंचांग का विमोचन, पर्वों की एकरूपता में होगा सहायक

रामनगर, अमृत विचार। श्रीनन्दाष्टमी/श्री राधाष्टमी पर पंचांग की प्रथम प्रति श्री गिरिजा माता को समर्पित करने के बाद ज्योतिष भवन चित्रकूट, रामनगर के प्रांगण में श्री तारा प्रसाद दिव्य पंचांग का जानी मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी और वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट व की उपस्थिति में विमोचन किया गया। पंचांग के प्रधान संपादक आचार्य …
उत्तराखंड  रामनगर 

रक्षाबंधन 11 या 12 अगस्त को…क्या कहतें हैं ज्योतिषाचार्य, जानिए कब मनाएं पर्व

हल्द्वानी, अमृत विचार। रक्षाबंधन पर्व कब मनाएं इसे लेकर तमाम भ्रांतियां फैली हुई हैं। वहीं इस पूरे मामले में हल्द्वानी निवासी ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी की मानें तो 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाना उचित है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हिंदू पर्वों का निर्धारण “राष्ट्रीय पंचांग सुधार समिति” के सौ से ज्योतिष कर्मकांड, वेद, धर्म शास्त्रों, …
उत्तराखंड  हल्द्वानी  धर्म संस्कृति 

हल्द्वानी: अक्षय तृतीया – मंगलवार को तृतीया तिथि होने से बन रहा सर्वसिद्धि योग

हल्द्वानी, अमृत विचार। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षयों फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, …
उत्तराखंड  हल्द्वानी  धर्म संस्कृति 

क्यों कहते हैं कि ‘काशी जमीन पर नहीं है, वह शिव के त्रिशूल के ऊपर है!’

क्यों कहते हैं कि ‘काशी जमीन पर नहीं है, वह शिव के त्रिशूल के ऊपर है!’ क्योंकि काशी एक यंत्र है एक असाधारण यंत्र!! मानव शरीर में जैसे नाभि का स्थान है, वैसे ही पृथ्वी पर वाराणसी का स्थान है.. शिव ने साक्षात धारण कर रखा है इसे! शरीर के प्रत्येक अंग का संबंध नाभि …
धर्म संस्कृति