अब हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी से भी सही हो सकता है अल्जाइमर

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शेफील्ड, ब्रिटेन। अल्जाइमर रोग मस्तिष्क में ”प्लाक” (प्रोटीन के गुच्छे) बनने से लंबे समय से संबद्ध रहा है। इजराइल में वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर से पीड़ित चूहे में यह दर्शाया है कि एक प्रकार की ऑक्सीजन थेरेपी न केवल नये प्लाक को बनने से रोक सकती है, बल्कि मौजूदा प्लाक को भी रोक सकती है। वैज्ञानिकों …

शेफील्ड, ब्रिटेन। अल्जाइमर रोग मस्तिष्क में ”प्लाक” (प्रोटीन के गुच्छे) बनने से लंबे समय से संबद्ध रहा है। इजराइल में वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर से पीड़ित चूहे में यह दर्शाया है कि एक प्रकार की ऑक्सीजन थेरेपी न केवल नये प्लाक को बनने से रोक सकती है, बल्कि मौजूदा प्लाक को भी रोक सकती है।

वैज्ञानिकों ने 5xएफएडी नामक अल्जाइमर रोग का इलाज ढूंढने के लिए चूहों पर एक अध्ययन किया। आनुवंशिक बदलाव किये गये चूहों का हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी के साथ इलाज किया गया, ताकि यह देखा जा सके कि क्या वे रोग को बढ़ने से रोक सकते हैं या क्या इसके बढ़ने की गति को धीमा कर सकते हैं।

हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी में शुद्ध ऑक्सीजन को दबाव वाले चैंबर में पहुंचाना शामिल है। चैंबर में वायुदाब सामान्य वायुदाब से दो से तीन गुना अधिक बढ़ जाता है। यह थेरेपी आमतौर पर डीकंप्रेसन बीमारी (एक स्थिति जो स्कूबा डाइवर्स को हो सकती है), कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता, और स्ट्रोक या मस्तिष्क की चोट के कुछ रूपों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है।

यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को पोषण देने के लिए मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में सुधार कर सकती है जो आमतौर पर रक्त से वंचित रहती हैं। साथ ही, इसी तरह से अल्जाइमर रोग के उपचार में मददगार हो सकती है। तेल अवीव विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 15 चूहों का हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी के साथ दिन में एक घंटे, सप्ताह में पांच दिन चार सप्ताह तक इलाज किया।

थेरेपी ने न केवल चूहों के मस्तिष्क में प्लाक की संख्या और आकार को कम कर दिया, बल्कि नए प्लाक बनने को भी धीमा कर दिया। अल्जाइमर से पीड़ित लोगों में मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इस अध्ययन से पता चला है कि ऑक्सीजन थेरेपी प्राप्त करने वाले चूहों में मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में वृद्धि हुई, जो मस्तिष्क से प्लाक की निकासी में मदद करता है, और सूजन को कम करता है जो अल्जाइमर की एक पहचान है।

अनुसंधानकर्ताओं ने इन परिणामों का इस्तेमाल सिर्फ चूहों में ही नहीं बल्कि 65 वर्ष से ऊपर के छह लोगों में ऑक्सीजन थेरेपी के प्रभाव को समझने के लिए भी किया, जिनकी संज्ञानात्मक बुद्धि घट रह थी। उन्होंने पाया कि 90 दिनों में ऑक्सीजन थेरेपी के 60 सत्रों ने मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में रक्त के प्रवाह में वृद्धि की और रोगियों की संज्ञानात्मक क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार किया, जैसे कि बेहतर स्मृति, ध्यान और सूचना से जुड़ी गति आदि।

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