बरेली: पौष्टिक आहार नहीं मिलने से मरे गोवंश, अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष समेत चार पर रिपोर्ट

बरेली: पौष्टिक आहार नहीं मिलने से मरे गोवंश, अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष समेत चार पर रिपोर्ट

बरेली, अमृत विचार। सिटी श्मशान भूमि के पास स्थित बरेली सोसायटी गोशाला में 30 से अधिक गोवंशों की मौत होने के मामले में सोसायटी के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, मंत्री और प्रबंधक को प्रथमदृष्टया दोषी माना गया है। इन सभी पर आरोप है कि गोशाला में गैर दुधारू गोवंशों को पौष्टिक आहार प्रदान नहीं किया गया। इससे …

बरेली, अमृत विचार। सिटी श्मशान भूमि के पास स्थित बरेली सोसायटी गोशाला में 30 से अधिक गोवंशों की मौत होने के मामले में सोसायटी के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, मंत्री और प्रबंधक को प्रथमदृष्टया दोषी माना गया है। इन सभी पर आरोप है कि गोशाला में गैर दुधारू गोवंशों को पौष्टिक आहार प्रदान नहीं किया गया। इससे गोवंशों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई। इस कारण गोवंशों की मौतें हुई हैं। गोशाला में व्याप्त अनियिमितताओं से हुई घटना के समय कार्यरत गोशाला प्रबंधक कमेटी दोषी है।

उप सचिव एवं अपर निदेशक ग्रेड-2 पशु पालन विभाग बरेली मंडल के निर्देश के बाद मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. ललित कुमार वर्मा की ओर से रविवार को पदाधिकारियों के विरुद्ध सुभाषनगर थाने में तहरीर सौंपी गई। जांच रिपोर्ट को आधार मानते हुए पुलिस ने पदाधिकारियों के खिलाफ धारा 429 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली। प्रकरण में रिपोर्ट होने के बाद गोशाला सोसायटी के पदाधिकारियों में खलबली मची है। इस कमेटी से भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि भी जुड़े हुए हैं।

हालांकि, पदाधिकारियों ने कहा है कि गोशाला में गोवंशों की मौतें खुरपका-मुंहपका की वैक्शीन नहीं लगने की वजह से हुई हैं। इस बार राज्य सरकार की ओर से वैक्शीन नहीं भेजी गईं। गोशाला में गोवंशों को यह रोग लग गया। मुंह में दिक्कत होने की वजह से चारा नहीं खाने से गोवंश कमजोर हुए और उनकी मौतें हो गईं।

गोवंशों के मरे होने के वीडियो व फोटो भी हुए थे वायरल
गोशाला में दो माह में लगातार गोवंशों की मौतें हुई। 35 गोवंशों के मरने की बात सामने आई। वीडियो और गायों के मरे होने के फोटो भी वायरल हुए थे। मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह के निर्देश पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. ललित कुमार वर्मा ने टीम के साथ गोशाला में जाकर जांच की। जिसमें गोवंश कमजोर अवस्था में मिले। उन्हें पौष्टिक आहार नहीं दिया जा रहा था। सात से अधिक गोवंश बीमार भी मिले थे। जांच के बाद मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने रिपोर्ट डीएम को भेजी थी।

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। -रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी

नोडल अधिकारी कराएंगे चोकर, दलिया एवं गुड़ की सैंपलिंग
गोशाला में बड़ी संख्या में गोवंशों की मौतें होने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था। इसके बाद मामले को उप सचिव शासन ने संज्ञान लिया। उप सचिव ने 12 नवंबर को पत्र लिखकर कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद अपर निदेशक ग्रेड-2 ने 13 नवंबर को पत्र लिखकर रिपोर्ट कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। पत्रों में कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी कमेटी के पदाधिकारियों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराकर उसकी स्थिति से शासन को अवगत कराएं।

उप सचिव ने कार्रवाई कराने के लिए डा. निरंकार सिंह उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी सदर, डा. नरेंद्र कुमार पशु चिकित्सा अधिकारी श्यामगंज को नोडल अधिकारी भी नामित किया। इसके साथ इन्हें निर्देश दिए कि गोशाला में दुधारू और गैर दुधारू गोवंशों को दिए जाने वाले पौष्टिक आहार, चोकर, दलिया एवं गुड़ आदि का सैंपल, गुणवत्ता परीक्षण के लिए निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र, पशुपालन विभाग को भेजें।

सरकार से नहीं मिला अनुदान, मुंहपका रोग से गोवंश मरे
बरेली गोशाला सोसायटी के कोषाध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा का कहना है कि सरकार का अनुदान 2021 में अभी नहीं मिला है। अक्टूबर माह में गोशाला में कई गोवंशों को खुरपका-मुंहपका रोग हो गया। सूचना पर डा. नरेंद्र कुमार पशु चिकित्सा अधिकारी लगातार गोवंशों का इलाज करने आए। गोवंशों को वैक्सीन नहीं लगी। सरकार से इस बार वैक्शीन नहीं भेजी गई।

बीमार गोवंशों के इलाज में अब तक कमेटी 50 हजार रुपये खर्च कर चुकी है। चारा नहीं खाने की वजह से कमजोर हुए गोवंशों की रोग की वजह से मौतें हो गईं। जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे गलत और मनगढ़ंत हैं। सरकार से अनुदान पर्याप्त नहीं मिलता है। कमेटी के लोग किसी तरह 570 गोवंशों का संरक्षण कर रहे हैं।

गोवंशों को रखने का रहता है दबाव, बीमार ही ज्यादा आए
बरेली गोशाला सोसायटी के अध्यक्ष अजय अग्रवाल का कहना है कि गोशाला में गोवंशों को रखने के लिए समिति पर बहुत दबाव रहता है। पशुधन विभाग, गोसेवा आयोग और सीवीओ की ओर से गोवंशों की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार पत्राचार हुए हैं। यहां आने वाले गोवंश पालतू नहीं होते हैं। निराश्रित, बीमार, कमजोर, छुट्टी घूमने वाले होते हैं।

इनमें अधिकांश तो बीमार ही आते हैं। ऐसे में खुरपका-मुंहपका रोग कई गोवंशों हो गया। पशु चिकित्सक लगातार गोवंशों का इलाज करने आ रहे हैं। वैक्सीन नहीं लगने की वजह से भी रोग फैला। गोवंशों का इलाज समिति करा रही है, जिन आरोपों में एफआईआर कराई गई है। वे बेबुनियाद हैं।

संपत्ति के लिए पदाधिकारियों की राजनीति, गोशाला को पहुंचा रही नुकसान
108 साल पुरानी बरेली गोशाला सोसायटी के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों की अंदरूनी राजनीति भी गोशाला को नुकसान पहुंचा रही है। 5 नवंबर को मंत्री का पद त्यागने की घोषणा करते हुए पत्र लिखने वाले एक पूर्व पदाधिकारी ने वर्तमान समिति के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और जिले के एक जनप्रतिनिधि पर श्यामगंज क्षेत्र की 5 करोड़ की संपत्ति 85 लाख में बेचने का भी खुला आरोप लगाया। यहां तक कहा कि पचपेड़ा की जमीन खरीदने में कमीशन का खेल खेला गया।

अन्य गड़बड़ियां करने का भी आरोप लगाया गया था। वहीं वर्तमान पदाधिकारियों ने पूर्व पदाधिकारियों पर गोवंशों के संरक्षण के लिए सरकार से दान के रूप में मिलने वाली धनराशि का हिसाब तक नहीं रखने की बात कही। गोशाला के नाम अकूत संपत्ति है। जिसको लेकर पूर्व में टकराव सामने आ चुके हैं।

आठ दिन पहले ही पदाधिकारियों की एक गोपनीय बैठक हुई थी। जिसमें एक पूर्व पदाधिकारी को हटाने के संबंध में चर्चा हुई लेकिन इससे पहले ही पदाधिकारी ने कमेटी के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए पद छोड़ दिया था। बता दें कि सिटी श्मशान भूमि के पास स्थित बरेली गोशाला सोसायटी की स्थापना 1913 में हुई थी।