रामपुर : मुस्लिमों का रुख तय करेगी ‘नेता जी’ की लखनऊ यात्रा
अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला जिला है रामपुर। यहां 50.57 प्रतिशत मुसलमान हैं। विधान सभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव में जनता का वोट मांगने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं। जिले की पांच विधान …
अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला जिला है रामपुर। यहां 50.57 प्रतिशत मुसलमान हैं। विधान सभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव में जनता का वोट मांगने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं। जिले की पांच विधान सभा सीटें हैं। पांचों पर आबादी के अनुपात में मुस्लिम मतदाताओं का दखल है।
रामपुर शहर सीट पर करीब 72 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। लिहाजा कह सकते हैं कि जिले में चुनाव मैदान में उतरे नेताओं के लिए लखनऊ तक का सफर करने के लिए मुस्लिम मतदाओं के ऊपर भी निर्भर रहना होगा। 75 जिलों और 18 डिविजन में बंटा उत्तर प्रदेश वोटों के मामले में भी विभाजित है। उत्तर प्रदेश में मुसलमान दूसरे सबसे बड़े (20 प्रतिशत) धार्मिक समुदाय हैं। रामपुर, फर्रुखाबाद और बिजनौर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिम आबादी करीब 40 फीसदी से अधिक है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, रोहिलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई ऐसी सीटें हैं, जहां चुनावी नतीजों पर मुस्लिम वोट प्रभाव डालते हैं। उन्हीं सीटों में रामपुर शहर सीट भी है। जिले की बाकी चार सीटों पर भी मुस्लिम रामपुर के मतदाताओं का मिजाज भांपकर ही वोट डालते हैं।
कहां जाएगा मुस्लिम वोट, अहम सवाल : विधानसभा चुनाव से पहले सबसे अहम सवाल है कि जिले की 50.57 फीसदी आबादी वाला मुस्लिम वोट बैंक किसके पाले में जाएगा या फिर एक बार वोटों में बिखराव होगा और उसका लाभ भाजपा ले जाएगी। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम मतों का विभाजन तो हुआ था, लेकिन इसका कोई खास असर नजर नहीं आया था। जिले में सपा के कद्दावर नेता आजम खां के प्रभाव में मुस्लिम वोट का झुकाव सपा की ओर ज्यादा रहा था। इस बार आजम खां जेल में हैं।
इसका मुस्लिम मतदाताओं पर क्या प्रभाव रहेगा। कुछ चुनावी जानकार कहते हैं कि आजम खां को सहानुभूति मिल सकती है तो कुछ कह रहे हैं कि उनके चुनाव में नहीं होने से वोट पर फर्क पड़ेगा। वहीं रामपुर रियासत के वंशज नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां शहर से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटों का उनकी तरफ भी झुकाव हो सकता है। क्योंकि कोई नवाब परिवार से 49 साल बाद दूसरी बार शहर से दावेदार होगा।

आंकड़ों में मुस्लिम आबादी
रामपुर में सबसे ज्यादा 50.57 प्रतिशत, श्रावस्ती में 30.79 प्रतिशत, सुल्तानपुर में 20.92 प्रतिशत, मुरादाबाद में 47.12 प्रतिशत, मेरठ में 34.43 प्रतिशत, मुजफ्फरनगर में 41.3 प्रतिशत, अमरोहा में 40.78 प्रतिशत, गाजियाबाद में 25.35 प्रतिशत, बिजनौर में 43.04 प्रतिशत, बरेली में 34.54 प्रतिशत, अलीगढ़ में 19.85 प्रतिशत, बलरामपुर में 37.51 प्रतिशत, बहराइच में 37.51 फीसदी, बागपत में 27.98 फीसदी, सिद्धार्थनगर में 29.23 फीसदी, सुल्तानपुर में 20.92 प्रतिशत, आजमगढ़ में 15.58 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। अमेठी में 20.06 फीसदी, गोंडा में 19.76 फीसदी, लखीमपुर खीरी में 20.08 फीसदी, लखनऊ में 21.46 फीसदी, मऊ में 19.46 फीसदी, महाराजगंज में 17.46 फीसदी,पीलीभीत 24.11 फीसदी, संत कबीर नगर में 23.58 फीसदी, सीतापुर में 19.93 फीसदी और वाराणसी में 14.88 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है। अन्य जिलों में 10 से 15 फीसदी के बीच है।
