कल मनाई जाएगी गुरु गोबिंद सिंह जयंती, इस उम्र में उठाई थी गुरु पद की जिम्मेदारी…
सिखों के 10 वें गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी का जन्मदिन देश धूम-धाम से मनाता है। इस बार इनकी जयंती 9 जनवरी को रविवार मनाई जाएगी। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों को सजाकर अरदास, भजन, कीर्तन और लंगर का आयोजन होता है। सभी भक्त गुरुद्वारे में मत्था टेककर गुरु गोबिंद सिंह के द्वारा बताए गए …
सिखों के 10 वें गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी का जन्मदिन देश धूम-धाम से मनाता है। इस बार इनकी जयंती 9 जनवरी को रविवार मनाई जाएगी। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों को सजाकर अरदास, भजन, कीर्तन और लंगर का आयोजन होता है। सभी भक्त गुरुद्वारे में मत्था टेककर गुरु गोबिंद सिंह के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं और गुरु नानक गुरु वाणी भी पढ़ते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन के दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। सिखों के नानकशाही कैलेंडर के आधार पर गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पौष माह, शुक्ल पक्ष, 1723 विक्रम संवत की सप्तमी तिथि को हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित करते हुए गुरु परंपरा को खत्म किया था। गुरू गोबिंद सिंह से एक महान योद्धा, कवि, भक्त और आध्यात्मिक व्यक्तित्व वाले महापुरुष थे। गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसे ही सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
गोविंद राय था बचपन का नाम
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना के पटना साहिब नामक जगह में हुआ था. बचपन में उनका नाम गोविंद राय था। उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर था। उन दिनों मुगलों का शासन था और गद्दी पर औरंगजेब बैठा था। औरंगजेब के शासन में इस्लाम को राजधर्म घोषित किया गया था। वह जबरन हिंदुओं को इस्लाम धर्म मामने के लिए मजबूर कर रहा था। औरंगजेब से प्रताड़ित लोग गुरु तेग बहादुर के पास फरियाद लेकर पहुंचे, लेकिन औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेज बहादुर का सरेआम सिर कटवा दिया था।
नौ साल की उम्र में बने थे 10वें और आखिरी गुरु
पिता के निधन के समय गोबिंद की उम्र सिर्फ 9 साल थी। फिर भी उन्हें तुरंत गुरु बना दिया गया। 11 नवंबर 1675 को गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु पद की जिम्मेदारी ली और उसके बाद से अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में गुजार दिया। गुरु गोबिंद ने ही गुरु प्रथा का अंत किया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरु ग्रंथ साहिब को ही सबसे बड़ा बताया। जिसके बाद सिख समुदाय गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा करने लगे। गुरु गोबिंद बहुत ही बड़े योद्धा होने के साथ ही महान विद्धान भी थे। उन्हें संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी आती थीं। गुरु गोबिंद जी ने कई ग्रंथों की रचना की थी।
बैसाखी के दिन की थी खालसा पंथ की स्थापना
गुरु गोबिंद जी ने खालसा पंथ की स्थापना आनंदपुर साहिब में 1699 को बैसाखी के दिन की थी। उन्होंने खालसा वाणी भी दी, जिसमें ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह’ कहा गया। उन्होंने पांच प्यारों को अमृत पान करवाकर खालसा बनाया और खुद भी उनके हाथों से अमृत पान किया था।
पांच सिद्धांत
गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ में जीवन के पांच सिद्धांत बताए हैं, जिन्हें पंच ककार के नाम से जाना जाता है। ये ‘क’ शब्द से शुरु होने वाले पांच सिद्धांत हैं, जिनका अनुसरण करना हर खालसा सिख के लिए अनिवार्य है. ये पांच ककार हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा।
नवाब वजीत खां ने करा दी थी धोखे से हत्या
धर्म, सच्चाई और सिखों की रक्षा करने वाले गुरु गोबिंद सिंह की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी शासक उनसे डरने लगे थे यही वजह थी कि औरंगजेब की मौत के बाद नवाब वजीत खां ने धोखे से हत्या करा दी थी।
ये भी पढ़े-
Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति? जानें इसके पीछे के धार्मिक और खगोलीय तथ्य…
