रामपुर: कांग्रेस का टिकट छोड़ हमजा मियां हुए अपना दल (एस) के, स्वार-टांडा से होंगे प्रत्याशी
रामपुर, अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के दौर में जिले में कांग्रेस को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है। इस बार नवाब परिवार के वंशज नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां स्वार-टांडा क्षेत्र से घोषित हुआ कांग्रेस का टिकट छोड़कर भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) में शामिल हो गए हैं। अपना दल उन्हें …
रामपुर, अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के दौर में जिले में कांग्रेस को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है। इस बार नवाब परिवार के वंशज नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां स्वार-टांडा क्षेत्र से घोषित हुआ कांग्रेस का टिकट छोड़कर भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) में शामिल हो गए हैं। अपना दल उन्हें स्वार से प्रत्याशी बनाएगा। चार दिन पहले कांग्रेस के चमरौआ से घोषित प्रत्याशी अली यूसुफ अली भी सपा में चले गए थे, लेकिन सपा ने उनको टिकट नहीं दिया। गुरुवार को अपना दल एस के जिलाध्यक्ष व जिला महासचिव ने हमजा मियां को पार्टी का झंडा सौंपकर सदस्यता ग्रहण कराई।
स्वार-टांडा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पांच दिन पहले रामपुर रियासत के अंतिम नवाब रजा अली खां के परपोते नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां (नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां के छोटे बेटे ) का टिकट घोषित किया था। हमजा मियां इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए पिछले साल से तैयारी कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने यह सीट अपने सहयोगी अपना दल (एस) को छोड़ दी थी। इसके बाद हमजा मियां ने कांग्रेस का टिकट ठुकरा कर अपना दल (एस) की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
इस दौरान अपना दल के जिलाध्यक्ष घनवीर चौधरी, महासचिव मोहम्मद वकील एडवोकेट आदि पदाधिकारियों ने गांव नबदिया में पार्टी का झंडा भेंट करके सदस्यता ग्रहण कराई। दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की स्वीकृति मिल चुकी है, जल्द हमजा मियां का टिकट घोषित किया जाएगा। हमजा मियां के जाने से कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका लगा है। इससे पहले पूर्व विधायक अली यूसुफ अली कांग्रेस का टिकट घोषित होने के बाद सपा में चले गए थे। हालांकि वहां से उन्हें टिकट नहीं मिला तो पुन: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से पुन: मौका देने की मांग कर रहे हैं।
इसी सीट पर अब्दुल्ला की रद हुई थी विधायकी
स्वार-टांडा वही सीट है जिसपर पिछले चुनाव में सपा के कद्दावर नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला करीब 53 हजार से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। लेकिन उनके फर्जी जन्म प्रमाण पत्र को लेकर प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवेद मियां ने हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया था। जिसमें 16 दिसंबर 2019 को अब्दुल्ला की विधायकी रद कर दी गई थी। तभी से यह सीट रिक्त चल रही थी। अब्दुल्ला और आजम खां व उनकी पत्नी को कई मामलों में जेल भेज दिया गया था। इसमें उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा पिछले साल जमानत पर जेल से बाहर आई थीं। अब्दुल्ला 15 जनवरी को जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। अब्दुल्ला स्वार सीट से एक बार फिर मैदान में हैं और युवाओं से सहानुभूति वोट बटोरने के लिए भावुक भाषण दे रहे हैं।
भाजपा नेत्री लक्ष्मी सैनी हाईकमान के फैसले के साथ
पिछले कई चुनाव में स्वार सीट से भाजपा की प्रत्याशी रह चुकीं लक्ष्मी सैनी का कहना है कि स्वार सीट को भाजपा हाईकमान ने सहयोगी अपना दल को छोड़ दिया है, वह हाईकमान के फैसले के साथ हैं। जैसा भी आदेश मिलेगा उसी के मुताबिक वह पालन करेंगी। उनसे पूछा गया कि विरोध की बात सामने आ रही है, तो उन्होंने कहा कि हम पार्टी के किसी फैसले का विरोध नहीं करते हैं।
मोहम्मद वकील को फिर देनी पड़ी टिकट की कुर्बानी
अपना दल एस के नेता मोहम्मद वकील करीब दो साल से इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए माहौल बना रहे थे। उन्होंने अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल तक अपनी बात रखकर स्वार सीट सहयोगी दल के लिए दिलाने की लंबी पैरवी की। स्वार सीट अपना दल को मिलने के बाद हमजा मियां ने अपना दावा ठोंक दिया, इसके बाद उन्हें एक बार फिर अपने टिकट की कुर्बानी देनी पड़ी। इससे पहले भी वे बसपा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट फाइनल कराके आए थे। इस बीच नवेद मियां को बसपा ने स्वार से प्रत्याशी बना दिया था। मोहम्मद वकील का कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए वह हर कुर्बानी देने को तैयार हैं।
