लता दीदी का निधन इस सदी की सबसे बड़ी अपूरणीय क्षति: राजा बुंदेला

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झांसी। सुर साम्राज्ञी और भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी सहित बुंदेलखंड में हर समाज और तबके से जुड़े लोगों के बीच गहरे शोक की लहर दौड़ गयी है लेकिन कला एवं संस्कृति से जुड़े लोगों लगभग नि:शब्द है। बुंदेलखंड से बॉलीवुड और टेलीविजन की दुनिया में पहचान …

झांसी। सुर साम्राज्ञी और भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी सहित बुंदेलखंड में हर समाज और तबके से जुड़े लोगों के बीच गहरे शोक की लहर दौड़ गयी है लेकिन कला एवं संस्कृति से जुड़े लोगों लगभग नि:शब्द है।

बुंदेलखंड से बॉलीवुड और टेलीविजन की दुनिया में पहचान बनाने वाले अभिनेता राजा बुंदेला ने कहा कि  लता जी का जाना हमें नि:शब्द कर गया है। इस सदी की इससे बड़ी त्रासदी कोई और हो नहीं सकती है। उन्होंने कला और खासकर मौसिकी के क्षेत्र को एक नये मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने जिस ज़माने में अपने करियर की शुरूआत की उस दौर में कला को कोई बड़े सम्मान की चीज नहीं समझा जाता था और नाचने गाने वाले और न जाने किस किस तरह की संज्ञाओं से नवाजा जाता था। उस दौर में लता दीदी ने काम शुरू किया और गायन को बहुत सम्मान के स्तर पर पहुंचाया।

उन्होंने पुरूषों के एकाधिकार वाले क्षेत्र में एक बेहद सुरीली आवाज के रूप में खुद को स्थापित किया और वर्षों तक सब पुरूष गायकों का साथ निभाकर अपनी प्रतिभा से कला और संस्कृति ही नहीं बल्कि देश और पूरी दुनिया में संगीत को नयी ऊचाइंयों तक पहुंचाया। उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर पायेगा। इस सदी में कला जगत को हुई यह सबसे बड़ी क्षति है।

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