अयोध्या: सुर कोकिला के निधन पर छलक पड़ीं लोगों की आंखें, कहा- एक युग का अंत

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अयोध्या। भारत रत्न सुर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर यहां सभी की शोक संवेदनाएं छलक पड़ी। साहित्यकारों, कवियों समेत सभी ने निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि उनके गाए गीतों से वे हमेशा याद की जाएगी। सोशल मीडिया पर भी आज सुर कोकिला को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सिलसिला जारी रहा। चली …

अयोध्या। भारत रत्न सुर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर यहां सभी की शोक संवेदनाएं छलक पड़ी। साहित्यकारों, कवियों समेत सभी ने निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि उनके गाए गीतों से वे हमेशा याद की जाएगी। सोशल मीडिया पर भी आज सुर कोकिला को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सिलसिला जारी रहा।

चली गई मेरी सुर आराध्या, रविवार का दिन मनहूस: यतींद्र मिश्र

लता सुरगाथा के लेखक प्रख्यात साहित्यकार यतींद्र मिश्र ने कहा कि शब्द नहीं हैं, जिसमें उनके निधन की संवेदनाओं को पिरोया जा सके। उन्होंने कहा कि मेरी सरस्वती, मेरी सुर आराध्या, मेरी रचनात्मकता की सबसे उज्ज्वल उपस्थिति अपने गंधर्व लोक चली गईं। भारत के लिए मनहूस और बेसुरा दिन रहा यह रविवार।

वाग्यदेवी की एक वरद लौ बुझ गई:  महापौर

अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय कहते हैं वाग्यदेवी की एक वरद लौ बुझ गई। लता जी ने अपने निर्दोष और अमर सुरों से भारतीय संगीत वांग्मय को समृद्ध बनाया। उन्होंने हमें अहिंसक रचनात्मक और आशावान बनाने में मदद की। वे हमेशा अपने गाए गीतों में जीवंत रहेंगी। समाजसेवी डा. संजय तिवारी ने कहा देश के लिए यह एक अपूर्णीय क्षति है।

रोज रोज जन्म नहीं लेती कोई लता…

क्योंकि लता मंगेशकर जैसी हस्तियां रोज रोज जन्म के नहीं लेतीं हैं। उन्होंने जीवन के हर रस में अपने गायन को साकार किया। कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि प्रतीक भाषा में गीत गाने वाली सुर कोकिला का जाना बहुत बड़ी क्षति है। वे स्वनिर्मित कलाकार थीं। इसलिए उन्हें स्वर कोकिला कहा गया है। उनकी उपलब्धियां अतुलनीय है और सदा रहेगीं। उन्होंने हर वर्ग के लिए गाया।

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