UP Election 2022: लखनऊ में सपा को लगा एक और झटका, सरोजनी नगर से शंकरी सिंह भाजपा में हुए शामिल

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लखनऊ। सरोजनी नगर हाइ प्रोफाइल सीट पर समाजवादी पार्टी की मुश्किल उस समय और बढ़ गई। जब सपा से दावेदारी कर रहे शिव शंकर सिंह शंकरी ने भाजपा का दामन थाम लिया। इससे पहले सपा की 2012 की सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ल ने भी भाजपा की सदस्यता लेकर सपा को एक बड़ा …

लखनऊ। सरोजनी नगर हाइ प्रोफाइल सीट पर समाजवादी पार्टी की मुश्किल उस समय और बढ़ गई। जब सपा से दावेदारी कर रहे शिव शंकर सिंह शंकरी ने भाजपा का दामन थाम लिया। इससे पहले सपा की 2012 की सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ल ने भी भाजपा की सदस्यता लेकर सपा को एक बड़ा झटका दिया था। अब 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में सरोजनीनगर से एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले शारदा प्रताप शुक्ल और शिवशंकर सिंह शंकरी में भाजपा के साथ आ गए हैं।

वह सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। वहीं सरोजनी नगर विधानसभा सीट पर नाराज चल रहे पार्टी के अन्य नेताओं को जोड़ने के लिए मंगलवार को बूथ कमेटी की बैठक रखी गयी है। जिसमें पार्टी नेता एमएलसी सुनील सिंह साजन और अनुराग यादव बदले परिवेश में आगे की रणनीति पर मंथन करेंगे।

सरोजनी नगर विधानसभा सीट से शिवशंकर सिंह शंकरी ने 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव बसपा से ल़ड़ा था। 2012 के विधानसभा चुनाव में तब सपा के शारदा प्रताप शुक्ल को 67601 वोट मिले थे। उस चुनाव में कड़ी टक्कर देते हुए बसपा के शिवशंकर सिंह शंकरी 59236 वोट पाए थे। शंकरी यह चुनाव 8365 वोटों से हार गए थे। जबकि आरएसबीपी से लड़ते हुए रूद्र दमन सिंह बबलू ने 41386 वोट पाकर शंकरी की राह मुश्किल कर दी थी।

शिव शंकर सिंह शंकरी दोबारा 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा से उतरे थे। इस बार शारदा प्रताप शुक्ल का टिकट काटकर सपा ने अखिलेश यादव के परिवार के अनुराग यादव को टिकट दे दिया। यहां चुनाव में साइकिल पिछड़ी और भाजपा से पहली बार इस सीट पर स्वाति सिंह ने जीत दर्ज की। स्वाति सिंह को 108506 वोट मिले तो सपा के अनुराग यादव को 74327 वोट प्राप्त हुए। बसपा से शिवशंकर सिंह शंकरी ने 71797 वोट हासिल किए। वहीं निर्दलीय रूद्र दमन सिंह बबलू 20607 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे।

शारदा प्रताप शुक्ल ने भी निर्दल लड़ते हुए चार हजार वोट हासिल किया था। वर्ष 2017 के चुनाव के बाद शंकरी ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी।शंकरी यहां पांच साल से तैयारी कर रहे थे। लेकिन सपा ने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र को ब्राहमण कार्ड खेलते हुए प्रत्याशी बना दिया।

शिवशंकर सिंह शंकरी कहते हैं कि अभिषेक मिश्र को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद वह आला कमान से लगातार संपर्क कर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन उनको अखिलेश यादव से मिलने ही नहीं दिया गया।

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