इंसानियत की मिसाल : बाबू आलम ने की यूक्रेन में फंसे ‘अर्पित’ की मदद
सलमान खान/अमृत विचार । तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी, किसी के पांव का कांटा निकाल कर तो देखो। किसी मशहूर शायर की यह लाइनें पाकबड़ा के बाबू आलम की पहल की मिसाल जैसी हैं। जहां दो देश युद्ध में अड़े हैं तो वहीं बाबू आलम ने यूक्रेन में पढ़ाई करने गए अपने …
सलमान खान/अमृत विचार । तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी, किसी के पांव का कांटा निकाल कर तो देखो। किसी मशहूर शायर की यह लाइनें पाकबड़ा के बाबू आलम की पहल की मिसाल जैसी हैं। जहां दो देश युद्ध में अड़े हैं तो वहीं बाबू आलम ने यूक्रेन में पढ़ाई करने गए अपने बेटे फैज आलम व उसके दोस्त अर्पित के टिकट के लिए देर रात में पैसे भेजकर सहयोग की इबारत लिखी है।
मदद का यह प्रयास देश की गंगा-जमुनी तहजीब से जोड़ कर भी देखी जा सकती है। नगर पंचायत पाकबड़ा के रहने वाले बाबू आलम का बेटा फैज आलम यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है, जबकि शहर का अर्पित गुप्ता भी यूक्रेन में है। यूक्रेन में हुए हमले के बाद फैज और अर्पित ने अपने देश लौटने का मन बनाया और पांच दिन पहले यूक्रेन से दिल्ली तक हवाई जहाज का टिकट कराने का प्रयास किया।
आपातकाल स्थिति में यूक्रेन से दिल्ली तक का हवाई टिकट 60,000 का बुक हो रहा था और अगर अगले दिन बुक करते तो उसके दाम और ज्यादा बढ़ रहे थे। इसलिए फैज आलम ने देर रात में ही अपने पिता बाबू आलम को फोन करके टिकट के लिए 60,000 अपने अपने खाते में ट्रांसफर करने को कहा। जिस पर बाबू आलम ने तुरंत ही बेटे के लिए खाते में पैसे डाल दिए। फैज आलम ने अपने पिता को दोबारा फोन किया और कहा उसके साथ शहर का रहने वाला दोस्त अर्पित भी है।
फैज ने बताया कि अर्पित के परिजन रात होने के कारण पैसे ट्रांसफर नहीं कर पा रहे हैं। अगर देर की तो टिकट महंगा भी हो सकता है और सीट बुक भी हो सकती है। यह बात सुनकर बाबू आलम ने बिना सोचे अपने बेटे के खाते में रकम और ट्रांसफर कर दी। बेटे से कहा कि अपने दोस्त का भी टिकट बुक करा दो, जिसके बाद फैज आलम ने अपना और अपने दोस्त अर्पित का भी टिकट बुक करा दिया। बाबू आलम ने बताया कि शनिवार की शाम को उनका बेटा फैज आलम और उसका दोस्त अर्पित रोमिया पहुंच गए थे, जहां से वह जल्द ही दिल्ली पहुंच जायेंगे।
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