300 वर्ष पुराने झाड़ी मंदिर का है पौराणिक महत्व

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शक्तिफार्म, अमृत विचार। शक्तिफार्म से करीब 5 किलोमीटर दूर बाराकोली रेंज के जंगल में स्थित झारखंडेश्वर मंदिर (झाड़ी मंदिर) का पौराणिक महत्व है। यह शिवालय महाभारत काल का बताया जाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां दूर दूराज के लाखों श्रद्धालु शिव लिंग पर जल चढ़ाने पहुंचते हैं और विशेष पूजा – अर्चना कर मन्नतें …

शक्तिफार्म, अमृत विचार। शक्तिफार्म से करीब 5 किलोमीटर दूर बाराकोली रेंज के जंगल में स्थित झारखंडेश्वर मंदिर (झाड़ी मंदिर) का पौराणिक महत्व है। यह शिवालय महाभारत काल का बताया जाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां दूर दूराज के लाखों श्रद्धालु शिव लिंग पर जल चढ़ाने पहुंचते हैं और विशेष पूजा – अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं। इस मौके पर मंदिर परिसर में तीन दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है।

करीब 300 वर्ष पुराने इस मंदिर से धार्मिक व ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। बाबा आगमपुरी के वंशज चार पीढ़ियों से इस मंदिर में पुजारी हैं। मान्यता है कि यहां शिवलिंग खुद प्रकट हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार तब एक ग्वाला गायों को चराने जंगल आता था। एक गाय घने जंगल के झाड़ियों में गायब हो जाती थी और कुछ समय बाद वापस आ जाती है। गौशाला से भी उसी नियत समय पर गायब होकर फिर कुछ समय बाद लौट आती थी। एक दिन ग्वाले ने पीछा किया तो गाय जंगल के बीच घनी झाड़ियों में जाकर रुक गई। वहां जाकर देखा तो एक शिवलिंग पर दूध चढ़ा था तब से ग्रामीणों ने यहां पर शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी झाड़ियों में शिवलिंग प्रकट होने से भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर झाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

औरंगजेब ने किया था शिवलिंग को खंडित करने का प्रयास
शिवालय के मुख्य पुरोहित रहे दीवान पुरी एवं उदय पुरी के अनुसार यह शिवालय महाभारत कालीन है। कहा जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने ऋषि मुनियों के साथ महाशिवरात्रि पर यहां महायज्ञ किया तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर इस स्थान पर शिवलिंग के रूप में सदा के लिए विराजमान हो गए। कालांतर में चलकर जब क्रूर मुगल शासक औरंगजेब पूरे भारतवर्ष में मठ-मंदिरों को खंडित करने में लगा तो उसकी क्रूरता का दंश इस शिवालय को भी झेलना पड़ा। मुगल शासक औरंगजेब के क्रूर सैनिकों द्वारा यहां स्थित शिवलिंग को खंडित करने का भरसक प्रयास किया गया था। परंतु इसमें वह सफल नहीं हुए। माना जाता है कि क्रूर मुगल सैनिकों द्वारा शिवलिंग पर तलवारों से प्रहार भी किए गए जिसके निशान आज भी शिवलिंग पर मौजूद है। लोगों में चरितार्थ है कि कुख्यात सुल्ताना डाकू कुमाऊं के जंगलों में प्रवास के दौरान इसी शिवालय में शिव आराधना करता था।

महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक वर्ष लगता है मेला
बाराकोली रेंज के जंगल में स्थित झाड़ी मंदिर में प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों के साथ श्रद्धालु हरिद्वार से जल लेकर यहां पहुंचते हैं और शिवलिंग में जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते हैं। इसी के साथ विशेष मान्यता रखने वाले बुक्सा जनजाति के लोग यहां पहुंच कर सच्ची निष्ठा व भक्ति के साथ जलाभिषेक कर प्रसाद वितरण करते हैं।