हल्द्वानी: देश में पैरा मिलिट्री फोर्सेस की कैंटीन का एकीकरण

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सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। सालों से चली आ रही पैरा मिलिट्री फोर्सेस के जवानों की मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है। अब पैरा मिलिट्री फोर्सेस के जवान पूरे देश में पैरा मिलिट्री फोर्स की किसी भी कैंटीन से सामान ले सकते हैं। ये व्यवस्था पूरी तरह डिजिटल है और इसका लाभ देश …

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। सालों से चली आ रही पैरा मिलिट्री फोर्सेस के जवानों की मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है। अब पैरा मिलिट्री फोर्सेस के जवान पूरे देश में पैरा मिलिट्री फोर्स की किसी भी कैंटीन से सामान ले सकते हैं। ये व्यवस्था पूरी तरह डिजिटल है और इसका लाभ देश के सेवारत और सेवानिवृत्त 20 लाख जवानों को मिलेगा।

बता दें कि इस मसले को एक्स पैरामिलिट्री फोर्स पर्सनल वेलफेयर एसोसिएश लंबे समय से उठा रहा था और कुछ माह पहले ही एक प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली में बीएसएफ के डीजी से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा था और इस मांग पत्र में लिकर की मांग प्रमुख तौर पर उठाया गया था। एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोहर सिंह नेगी ने बताया कि लिकर पहले भी मिल जाया करती थी, लेकिन क्वालिटी नहीं मिलती थी और जवानों व पूर्व जवानों को अपनी ही यूनिट की कैंटीन से सामान लेने की बाध्यता था।

ऐसे में उत्तराखंड में बीएसएफ के जवानों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी, क्योंकि यहां बीएसएफ की न तो अपनी जमीन और न ही कैंटीन। बहरहाल, बीएसएफ के डीजी से शिकायत के बाद सभी पैरा मिलिट्री फोर्सेस को सेंट्रली लिक्वर मैनेजमेंट सिस्टम (सीएलएमएस) से जोड़ दिया गया और एक ऐप जारी किया गया।

इस ऐप के इस्तेमाल से पहले सेवारत और सेवानिवृत्त को रजिस्ट्रेशन कराना होगा और फिर इसी ऐप में अपनी पसंद के सामान चुनना होगा और अपनी नजदीकी कैंटीन से जाकर लाना होगा और पेमेंट भी वहीं देना होगा। ये व्यवस्था ऑन लाइन बाजार जैसी है। उत्तराखंड में इस व्यवस्था से पैरा मिलिट्री फोर्स के एक लाख सेवानिवृत्त और करीब दो लाख सेवानिवृत्त जवान लाभांवित होंगे। जबकि देश में 12 लाख सेवारत और आठ लाख सेवानिवृत्त पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान हैं। बहरहाल, केंद्र सरकार से इस व्यवस्था की एसओपी जारी कर दी है और रजिस्ट्रेशन भी बड़ी संख्या में शुरू हो चुके हैं।

इन पैरा मिलिट्री फोर्सेस को मिल रहा है लाभ
– बीएसएफ (बार्डर सिक्योरिटी फोर्स) (सीमा सुरक्षा बल)
– आईटीबीपी (इंडियन तिब्बतन बार्डर पुलिस) (भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस)
– एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल)
– सीआरपीएफ (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स)
– आसाम राइफल्स
– सीआईएसएफ (सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स) (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल)

एकरूपता के साथ आएगी पारदर्शिता
हल्द्वानी। इस व्यवस्था से व्यवस्था में न सिर्फ एकरूपता आएगी, बल्कि पारदर्शिता भी आएगी। अब ऐप के जरिये जवान को कैंटीन जाने से पहले ही पता होगा कि कैंटीन में क्या-क्या सामान और कितनी-कितनी मात्रा उपलब्ध होगा। जबकि पहले ऐसा नहीं था। पहले एक पैरा मिलिट्री फोर्सेस के जवानों को एक निर्धारित कैंटीन से ही सामान लेना पड़ता था और कैंटीन जाने के बाद ही कैंटीन में सामान की उपलब्धता का पता लगता था।

जमीन मिली, लेकिन नींव आज तक नहीं खुदी
हल्द्वानी। एक्स पैरामिलिट्री फोर्स पर्सनल वेलफेयर एसोसिशएन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोहर सिंह नेगी ने बताया कि बीएसएफ के जवानों को उत्तराखंड में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। करीब 10 साल पहले यहां बीएसएफ के लिए सितारगंज में जमीन तो आवंटित कर दी गई, लेकिन उस पर निर्माण नहीं हो सका। बीएसएफ के जवानों और उनके परिवार को इलाज के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है।

देहरादून में होगा नई कार्यकारिणी का चुनाव
हल्द्वानी। एक्स पैरामिलिट्री फोर्स पर्सनल वेलफेयर एसोसिएशन के चुनाव देहरादून में 31 मार्च को होंगे। उत्तराखंड की एशोशियेसन का ये चुनाव अगले तीन साल के लिए होने जा रहा है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोहर सिंह नेगी से एसोसिएशन के लोगों से अपील की है कि देहरादून पहुंच कर नई कार्यकारणी के लिए कर्मठ लोगों का चुनाव करें, ताकि हमारी समस्याओं का हल हो और हम अपना हक हासिल कर सकें। चुनाव सुबह 10 बजे के बाद आईटीबीपी सीमा द्वार देहरादून में होंगे।