गर्मी शुरू होते ही अस्पतालों में बढ़े पेट दर्द, डायरिया और गैस के मरीज, बीमारियों से बचाव के लिए करें ये उपाय

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मुरादाबाद,अमृत विचार। चैत्र में पड़ रही जेठ जैसी गर्मी अब लोगों की सेहत पर भारी पड़ने लगी है। मौसम में आए इस परिवर्तन से जिले में डायरिया, गैस्ट्रो व अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगा है। बच्चे-बूढ़े सभी इसके शिकार हो रहे हैं। अकेले जिला अस्पताल में ही मरीजों की संख्या करीब 15 से 20 …

मुरादाबाद,अमृत विचार। चैत्र में पड़ रही जेठ जैसी गर्मी अब लोगों की सेहत पर भारी पड़ने लगी है। मौसम में आए इस परिवर्तन से जिले में डायरिया, गैस्ट्रो व अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगा है। बच्चे-बूढ़े सभी इसके शिकार हो रहे हैं। अकेले जिला अस्पताल में ही मरीजों की संख्या करीब 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है। इनमें सबसे ज्यादा डायरिया व पेट के रोगी हैं। डॉक्टरों का सुझाव है कि ऐसे हालात में शरीर में पानी की कमी न होने दें। वरना स्थिति गहरा सकती है और अस्थायी रूप से किडनी भी फेल हो सकती है।

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक एके गुप्ता के मुताबिक इन दिनों अस्पताल में आ रहे मरीजों में पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेट में मरोड़, उल्टी, दस्त, बुखार, कमजोरी आदि की समस्या कॉमन है। इस तरह के लक्षण आमतौर पर डायरिया के मामलों में देखने को मिलते हैं। इन दिक्कतों की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, परिणामस्वरुप लोग डीहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इससे होंठ और मुंह सूखने के अलावा पेशाब कम होने जैसी समस्या हो सकती है।  डीहाइड्रेशन को नजरअंदाज करने की दशा में अस्थायी रूप से गुर्दे फेल हो जाते हैं।  प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि सामान्य दिनों में 1300 से 1400 की ओपीडी होती है। लेकिन इन दिनों अस्पताल की ओपीडी 1500 के पार चल रही है। इनमें करीब 30 फीसदी रोगी गेस्ट्रो के हैं। यह स्थिति बीते 15 दिनों से है। उन्होंने आशंका जताई कि इसी प्रकार गर्मी बढ़ती रही तो बहुत जल्दी अस्पताल में मरीजों का दबाव काफी बढ़ सकता है।

जागरूक बनें, स्वस्थ रहें
चिकित्सक के मुताबिक किसी व्यक्ति के शरीर में नमक और पानी की कमी होने पर लू लगने की संभावना ज्यादा रहती है। चूंकि अभी लू जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन गर्मी में पसीने के साथ में शरीर में संचित नमक और पानी बाहर निकल रहा है। इससे रक्त और नाड़ी की गति तेज हो जाती है। सांस लेने की दर भी ठीक नहीं रहती और शरीर में धीरे-धीरे ऐंठन शुरू हो जाती है। लू लगने से बुखार काफी तेज हो जाता है। आंखें व हाथ-पैरों के तलवों में जलन होती है। इससे आदमी बेहोश हो सकता है। बहुत अधिक गर्मी और जलन होने से रोगी के शरीर में बेचैनी हो जाती है। मुंह सूखना, गला सूखना, बार-बार प्यास लगना जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। गर्मी में पीलिया होने का खतरा भी होता है। ये रोग गंदे और दूषित पानी या खाने की वजह से होते हैं। पीलिया में रोगी की आंखें व नाखून पीले पड़ जाते हैं। पेशाब का रंग भी पीला होता है। गर्मी के मौसम में टायफाइड भी एक आम बीमारी की तरह उभरकर सामने आती है। इस बीमारी में लगातार बुखार रहना, भूख कम लगना, उल्टी होना और खांसी-जुकाम का बने रहना प्रमुख लक्षण होते हैं। गर्मी में इन बीमारियों से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे जूस, लस्सी, छाछ, आम का पना या नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।

गर्मी व धूप से करें बचाव
गर्मी में घरों को ठंडा रखें, दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें। रात में तापमान कम होने के समय घर की खिड़की, दरवाजे खोल सकते हैं। छोटे बच्चे और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अधिकांश समय छांव में ही रहें। तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर अधिक मात्रा में पेय पदार्थ पिएं। धूप से बचाव के लिए सनस्क्रीन घोल लगाइए और उसके 15 मिनट बाद घर से बाहर निकलें। शराब या मस्तिष्क पर असर डालने वाली दवाएं और नशीले पदार्थों का सेवन भूलकर भी न करें। हर दिन धूप में काम करने की 1-2 घंटे कोशिश करें, जिससे शरीर गर्मी को सहने की आदत सीखे। काम करते समय हल्के सूती कपड़े पहनें, काले या गहरे रंग के कपड़े ज्यादा न पहनें। धूप में बाहर निकलते समय सिर पर रूमाल या टोपी पहनें। जिससे सिर के साथ ही कान और चेहरे का धूप से बचाव हो सके।

ये हैं लक्षण

  • जी मिचलाना
  • पेट में मरोड़
  • लूज मोशन
  • सूजन
  • डीहाइड्रेशन
  • बुखार

ये करें उपाय

  • तेज धूप में जाने से पहले पानी पिएं
  • धूप में सिर ढककर निकलें
  •  पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें
  • बासा खाना खाने से परहेज करें
  • स्वच्छ पानी का सेवन करें
  • ज्यादा तला खाना न खाएं
  • डायरिया होने पर नमक-चीनी का घोल पिएं
  • कटे हुए फल व खुले में रखे खाद्य पदार्थ न खाएं

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