बाराबंकी: सतनामी महंत श्रीरामदास ने 94 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, प्यारे दास कुटी पर कल दी जाएगी समाधि
बाराबंकी। सतनामी संप्रदाय की 14 गद्दी में से एक जरौली गद्दी के महंत श्रीरामदास ‘क्रूर’ का गुरुवार को निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। उन्होंने एक ग्रंथ समेत 54 ग्रंथ लिखे हैं। निधन की सूचना पाने के बाद हजारों शिष्य उनके स्थान पर पहुंच गए हैं। श्री रामदास को प्यारे दास कुटी पर …
बाराबंकी। सतनामी संप्रदाय की 14 गद्दी में से एक जरौली गद्दी के महंत श्रीरामदास ‘क्रूर’ का गुरुवार को निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। उन्होंने एक ग्रंथ समेत 54 ग्रंथ लिखे हैं। निधन की सूचना पाने के बाद हजारों शिष्य उनके स्थान पर पहुंच गए हैं। श्री रामदास को प्यारे दास कुटी पर शुक्रवार को समाधि दी जाएगी।
सतनामी संप्रदाय की उद्गगम स्थली कोटवाधाम के संत जगजीवन साहब के 14 शिष्यों में से एक शिष्य बाबा प्यारेदास बनीकोडर ब्लाक की ग्राम पंचायत जरौली निवासी थे। गद्दी के स्थान पर बाबा जी की समाधि बनी है। पिछले कई सालों से रामदास जी ‘क्रूर’ जरौली गद्दी के महंत थे और उन्होंने गद्दी के विकास के लिए तमाम कदम उठाएं।
मूल रूप से लखनऊ के अचली खेड़ा के निवासी श्रीरामदास जी क्रूर ने बृहस्पतिवार को अंतिम सांस ली। जरौली गांव के निवासी व साहित्यकार योगेंद्र मधूप ने बताया कि संत शिरोमणि श्री रामदास ने 54 ग्रंथ लिखे हैं। निधन की सूचना पाने के बाद साहित्यकार विनय दास समेत दूर-दूर से शिष्यों का आना जारी रहा।सतनामी महंथ बाबा बीपी दास ने बताया कि शुक्रवार को प्यारे दास कुटी पर ही उन्हें समाधि दी जाएगी।
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