हल्द्वानी: वाह री सरकार! हाईकोर्ट का आदेश नही माना और NIOS डीएलएड उपाधि धारकों का भविष्य अंधेरे में धकेल दिया
हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य गठन के 22 साल बाद की यह तस्वीर वाकई सोचने को मजबूर कर देती है जब उत्तराखंड के प्रशिक्षित युवाओं को अपने हक के लिए हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। उस पर भी हैरान और परेशान करने वाली बात यह है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार …
हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य गठन के 22 साल बाद की यह तस्वीर वाकई सोचने को मजबूर कर देती है जब उत्तराखंड के प्रशिक्षित युवाओं को अपने हक के लिए हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। उस पर भी हैरान और परेशान करने वाली बात यह है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार युवाओं की सुध नहीं लेती। जिसके कारण सैकड़ों प्रशिक्षित युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया है।

आज हल्द्वानी में उत्तराखंड एनआईओएस डीएलएड टीईटी प्रशिक्षित शिक्षक महासंघ के बैनर तले एकजुट हुए युवाओं ने भी कुछ ऐसी ही पीड़ा को बयां किया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नंदन बोहरा ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत भारत सरकार ने सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ा रहे पहली से आठवीं तक के सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को संसद के दोनों सदनों में बिल पास कर डीएलएड प्रशिक्षण कराने का पाठ्यक्रम मार्च 2019 तक पूरा करने का पहला और अंतिम मौका दिया था। जिसके बाद उत्तराखंड में डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों की संख्या करीब 37 हजार थी।

लेकिन दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड में नवंबर और दिसंबर 2020 में राजकीय प्राथमिक विद्यालयों का विज्ञापन जारी होता है जिसमें डीएलएड प्रशिक्षतों ने भी आवेदन किया था। लेकिन विद्यालयी शिक्षा सचिव ने एनआईओएस डीएलएड प्रशिक्षतों को भर्ती प्रक्रिया से वंचित कर दिया। जिसके बाद प्रशिक्षत युवाओं ने हाईकोर्ट की शरण ली। उन्होंने बताया कि दो बार हाइकोर्ट से एनआईओएस डीएलएड उपाधि धारकों को भी गतिमान शिक्षक भर्ती और काउंसलिंग में सम्मिलित होने का आदेश दिया। लेकिन सरकार ने हाइकोर्ट की भी नही सुनी।
उन्होंने बताया कि कई बार शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, महानिदेशक शिक्षा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा से मिलकर अपना पक्ष रख चुके हैं लेकिन झूठे आश्वासनों के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिस कारण प्रशिक्षित युवा बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना के साथ ही सैकड़ों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर सुध नहीं ली गई तो उग्र आंदोलन का बाध्य होना पड़ेगा। इस मौके पर 50 से अधिक एनआईओएस डीएलएड प्रशिक्षित मौजूद रहे।
