लखीमपुर-खीरी: शाम होते ही जिले से बेगाना हो जाता है भारत नेपाल सीमा का क्षेत्र

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लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। शाम होते ही भारत-नेपाल सीमा पर बसा प्रमुख तिकुनियां क्षेत्र जिले से बेगाना सा हो जाता है। वजह है कि तिकुनियां से शाम चार बजे के बाद जिला मुख्यालय पहुंचने का कोई साधन नहीं है। इससे सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिले की तहसील …

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। शाम होते ही भारत-नेपाल सीमा पर बसा प्रमुख तिकुनियां क्षेत्र जिले से बेगाना सा हो जाता है। वजह है कि तिकुनियां से शाम चार बजे के बाद जिला मुख्यालय पहुंचने का कोई साधन नहीं है। इससे सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जिले की तहसील निघासन की सीमा नेपाल बॉर्डर से जुड़ी हुई है। नेपाल बार्डर पर थारू बाहुल्य ग्राम सभा बेला परसुआ समेत दो सौ से अधिक ऐसे गांव हैं, जो जिला मुख्यालय से जुड़े हैं। बेलरायां में सरजू सहकारी चीनी मिल, कई बैंक शाखाएं है तो तिकुनियां में कस्टम कार्यालय, उप मंडी स्थल, कई बैंक शाखाओं सहित कई कार्यालय हैं।

तिकुनियां बड़ी मंडी होने के कारण जिला मुख्यालय के व्यापारियों का भी आना-जाना रहता है। यहां से जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए प्राइवेट बस और ट्रेन थीं, लेकिन लखनऊ और मैलानी के बीच आमान परिवर्तन के कारण ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था। इससे क्षेत्र के लोग सिर्फ सड़क मार्ग के सहारे केंद्रित रह गए थे।

करीब आठ महीने पहले मैलानी-नानपारा के बीच ट्रेनों का संचालन तो शुरू हुआ, लेकिन एक जोड़ी ट्रेन चलने के कारण इसका लाभ क्षेत्रीय लोगों को नहीं मिल पा रहा है। करीब 10 साल पहले क्षेत्रीय जनता की मांग पर परिवहन विभाग ने सीतापुर डिपो से तिकुनियां तक रोडवेज बस सेवा शुरू की थी। सुबह तीन और शाम को दो बसों का संचालन तिकुनियां से लखनऊ तक होता था।

यह बसें वाया सीतापुर होते हुए लखनऊ पहुंचती थीं, जिससे क्षेत्रीय जनता को सहूलियत मिली और समय से पर्याप्त बसों के चलने से रोडवेज की आय भी बढ़ी। रोडवेज बसों का चालकों और परिचालकों की मनमानी के कारण व्यवस्था एक बार फिर पुराने ढर्रे पर आ गई। नियमित बसों का संचालन न होने से यात्री प्राइवेट बसों के सहारे हो गए।

इधर रोडवेज प्रशासन ने भी धीरे-धीरे बसों की संख्या भी इस रूट पर कम कर दी। लखीमपुर से सुबह ९.३० बजे से लेकर ११.३० बजे तक बसे तिकुनियां तो जाती हैं, पर यह बसें वापस लखीमपुर न आकर पलिया होते हुए हरिद्वार चली जाती हैं। इससे दोपहर बाद लखीमपुर आने के लिए रोडवेज की कोई सेवा क्षेत्र वासियों को नहीं मिल पाती।

प्राइवेट बस भी शाम चार बजे लखीमपुर के लिए रवाना हो जाती है। शाम को कोई ट्रेन भी नहीं है। इससे क्षेत्रीय लोगों का संपर्क तहसील और जिला मुख्यालय से टूट जाता है।

तिकुनियां के लिए जल्द ही बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके लिए कार्रवाई चल रही है। यदि बसें निर्धारित स्टैंड तक नहीं जाती है तो यह गंभीर बात है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी—विमल राजन, एआरएम सीतापुर।

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