दिल्ली की पानी की मांग को पूरा करने पर उपराज्यपाल ने जनता से मांगी राय
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल की मांग को पूरा करने और इस मामले में उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोमवार को जनता से सुझाव मांगे। उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली की पानी की मांग एक समान नहीं है और रोजाना करीब 28 करोड़ गैलन (एमजीडी) पीने के …
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल की मांग को पूरा करने और इस मामले में उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोमवार को जनता से सुझाव मांगे। उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली की पानी की मांग एक समान नहीं है और रोजाना करीब 28 करोड़ गैलन (एमजीडी) पीने के पानी की कमी है। उपराज्यपाल ने ट्वीट किया, ‘‘दूसरों को दोष देने के बजाय, आइए हम मिलकर पानी का संरक्षण और अपने भूजल को बढ़ाकर राजधानी को आत्मनिर्भर बनाएं।
आपके सुझावों और भागीदारी से ही हमें इसे हासिल करने में मदद मिलेगी।’’ पानी के लिए राष्ट्रीय राजधानी पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है: इसे हरियाणा से दो नहरों – कैरियर-लाइन्ड चैनल (368 एमजीडी) और दिल्ली उप-शाखा (177) – और यमुना (65 एमजीडी) के माध्यम से 675 एमजीडी पानी मिलता है। इसके अलावा, ऊपरी गंगा नहर के माध्यम से उत्तर प्रदेश से 253 एमजीडी पानी प्राप्त होता है और शेष जल समूची दिल्ली में स्थापित कुओं और नलकूपों से लिया जाता है।
दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) निवासियों को 990 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है। इस बार गर्मी के मौसम में दिल्ली को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा क्योंकि हरियाणा ने यमुना और दो नहरों में कम पानी छोड़ा। डीजेबी ने 30 अप्रैल से 18 जून के बीच हरियाणा सिंचाई विभाग को नौ बार पत्र लिखकर नदी में अतिरिक्त पानी छोड़ने का आग्रह किया। इससे पहले, सक्सेना ने दिल्ली में ‘‘कचरे के पहाड़’’ को साफ करने, यमुना की सफाई और हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जनता से सुझाव आमंत्रित किए थे।
उन्होंने कहा था कि दिल्ली यमुना में 784 एमजीडी अवजल (सीवेज का पानी) छोड़ती है, जिसने नदी को एक गंदी नाली में बदल दिया है और राजधानी में कचरे के पहाड़ ‘‘राष्ट्रीय शर्म’’ के समान हैं। सक्सेना ने यह भी उल्लेख किया था कि ‘‘हम अधिकांश (वायु) प्रदूषक स्वयं उत्पन्न करते हैं’’।
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