मुरादाबाद: सीडब्ल्यूसी को गुमराह करते अमरोहा के दंपति ने ली फैमिली कोर्ट की शरण

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मुरादाबाद, अमृत विचार। नाबालिग बेटी को दोबारा पाने की फौजी की लालसा पूरी होने से पहले ही अधर में लटक गई है। अमरोहा के उस दंपति ने अब फैमिली कोर्ट की शरण ली है, जिन पर नाबालिग को उसकी मां-बाप की बगैर सहमति जबरिया अपने पास रखने का आरोप है। मजे की बात यह है …

मुरादाबाद, अमृत विचार। नाबालिग बेटी को दोबारा पाने की फौजी की लालसा पूरी होने से पहले ही अधर में लटक गई है। अमरोहा के उस दंपति ने अब फैमिली कोर्ट की शरण ली है, जिन पर नाबालिग को उसकी मां-बाप की बगैर सहमति जबरिया अपने पास रखने का आरोप है। मजे की बात यह है कि मुरादाबाद व अमरोहा की बाल कल्याण समिति पूरे खेल में महज मोहरा बन कर रह गईं।

  • अधर में लटका फौजी की नाबालिग बेटी के पुनर्वासन का मामला
  • अमरोहा सीडब्ल्यूसी के खेल का शिकार बना पीड़ित फौजी

महानगर के मझोला थाना क्षेत्र में बुद्धि विहार के रहने वाले एक फौजी की पत्नी मुरादाबाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश हुई। महिला ने पत्र देकर बताया कि उसकी नाबालिग बेटी बड़ी बहन व बहनोई के कब्जे में है। बार-बार बेटी वापस करने की गुहार आरोपी दंपति नजर अंदाज कर रहे हैं। जैविक मां-बाप की गुहार की अनदेखी करने वाले आरोपी दंपति को बाल कल्याण समिति ने चार बार नोटिस जारी किया।

सीडब्ल्यूसी ने हर बार नाबालिग संग न्यायपीठ के समक्ष पेश होने का आदेश दंपति को दिया। दंपति मुरादाबाद की बाल कल्याण समिति को गुमराह करते हुए अमरोहा सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश हो गए। अमरोहा सीडब्ल्यूसी ने खेल करते हुए बच्ची को न सिर्फ एकतरफा परित्यक्ता घोषित किया, बल्कि नाबालिग की अस्थाई सुपुर्दगी भी आरोपी दंपति को कर दी। उधर प्रकरण में उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी डीएम मुरादाबाद व अमरोहा को पत्र लिखा। जिसमें नाबालिग को उसके जैविक मां-बाप के सुपुर्द करने का आदेश दिया।

किशोरी हथियाने की होड़ में जुटे अमरोहा के आरोपी दंपति बाल कल्याण समिति को बातचीत में उलझा कर गुमराह करते रहे। एक तरफ नोटिस के आधार पर वह 12 जुलाई को न्यायपीठ के समक्ष पेश होने का आश्वासन देते रहे, तो दूसरी तरफ अमरोहा बाल कल्याण समिति के आदेश को आधार बनाकर फैमिली कोर्ट में पहुंचने की योजना बना ली। पर्दे के पीछे की चाल से अनभिज्ञ मुरादबाद की बाल कल्याण समिति मंगलवार को अमरोहा के दंपति व फौजी की बेटी का इंतजार करती रही।

नाबलिग तो न्यायपीठ के समक्ष नहीं आई, लेकिन आरोपी कोर्ट में दाखिल याचिका के साथ पहुंचे। उन्होंने न्यायपीठ को दो टूक बताया कि प्रकरण अब फैमिली कोर्ट में है। लिहाजा नाबालिग के असली मां बाप का निर्णय कोर्ट से होगा। हालांकि निदेशक अभियोजन ने सीडब्ल्यूसी को आरोपी दंपति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की सलाह दी है।उधर देश की सरहद पर राजस्थान में मौजूद फौजी बेटी को पाने की लड़ाई कोर्ट में पहुंचने की सूचना से परेशान है।

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