अयोध्या: नए सत्र के 3 महीने बीतने के बाद भी नहीं हुई किताबों की आपूर्ति, जिले के 1800 विद्यालयों में गहराया संकट

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अयोध्या। सरकार के लम्बे – चौड़े दावों के बीच शिक्षा की नींव माने जाने वाली प्राथमिक शिक्षा बुरे दौर से गुजर रही है। सत्र शुभारंभ से पहले ही स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने की घोषणा इस बार भी हवा-हवाई निकली। सत्र शुरू होने के तीन माह बाद भी अभी तक जिले में पाठ्य पुस्तकों …

अयोध्या। सरकार के लम्बे – चौड़े दावों के बीच शिक्षा की नींव माने जाने वाली प्राथमिक शिक्षा बुरे दौर से गुजर रही है। सत्र शुभारंभ से पहले ही स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने की घोषणा इस बार भी हवा-हवाई निकली। सत्र शुरू होने के तीन माह बाद भी अभी तक जिले में पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति नहीं हुई है।

यही कारण है कि वर्तमान सत्र में भी करीब 1800 परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत करीब पांच लाख बच्चे पुरानी पुस्तकों से ही पढ़ने को मजबूर हैं। नया सत्र भले हो पर पढ़ाई पुरानी किताबों से ही कराई जा रही है।

विभागीय जिम्मेदारों का कहना है कि अभी तक शासन स्तर से ही किताबों का आवंटन नहीं हो सका है। फिलहाल उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार पुराने बच्चों से किताबें जमा कराकर उन्हें नई कक्षा के बच्चों को वितरित किया गया है। यह आंकड़ा विभाग नहीं दे रहा है कि कितने पुराने बच्चों से किताबें लेकर नए को दी गई है। हकीकत यह है कि केवल 40 फीसदी स्कूल ही ऐसे हैं जहां पुरानी किताबें उपलब्ध कराई गई है।

85 हजार बच्चों को नहीं मिले यूनीफॉर्म और जूते मोजे

किताबों का ही नहीं यहां यूनीफॉर्म और जूते मोजे का मामला भी अटका है। यूनिफार्म, जूता, मोजा, बैग खरीदने के लिए 1100 रुपये की धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजने की योजना सरकार ने शुरू की है। आधार कार्ड खाते में लिंक नहीं होने और अन्य तकनीकी खामियों के चलते 85 हजार विद्यार्थी बीते वर्ष इस योजना के लाभ से वंचित हो गए हैं।

धनराशि डीबीटी के जरिए देने के लिए आधार बैंक खाते से लिंक होना जरूरी है। अब कुछ अभिभावक आधार लिंक कराने के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं तो कुछ खाते में आधार लिंक कराने के प्रयास में जुट गए हैं। जिम्मेदारों की मानें तो इस बार फोटो अपलोड कराई जा रही है। जो अभिभावक यह सामग्री लेकर बच्चे की फोटो अपलोड नहीं कराएंगे उन्हें इस साल इस योजना का रुपया नहीं मिलेगा।

यहां भी नौनिहालों को नहीं नसीब हुई किताबें

बीकापुर खंड शिक्षा क्षेत्र में भी लगभग 3 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी वह पुरानी व पिछली कक्षा की किताबों के जरिये शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह हालात एक दो विद्यालय के नहीं बल्कि ब्लॉक के 153 प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के हैं। माध्यमिक विद्यालय मऊ में बच्चे पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई करते हुए मिले, बच्चों ने खुद बताया कि महीनों से ऊपर हो गए हम लोगों को किताबें उपलब्ध नहीं हुई है पुरानी किताबों के सारे पढ़ रहे हैं।

उच्च प्राथमिक विद्यालय मऊ में कुल 169 पंजीकृत छात्र हैं, मौके पर 125 छात्र उपस्थित मिले। प्रधानाचार्य अशोक सोनी ने बताया, अभी पुस्तकें नहीं आई है। खंड शिक्षा अधिकारी अमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि किताबें अभी नहीं मिल पाई है। जिले पर किताबे पहुंचने वाली है, यहां पर किताबे रखने के लिए कमरा खाली करा दिया गया है।

पाठ्य पुस्तकों को लेकर *यह है नियम

परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों को प्रत्येक शैक्षिक सत्र में निशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाती है। यह पुस्तकें नौनिहालों को सत्र प्रारंभ होने के एक बाद मिल जाती है। लगभग 3 माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नौनिहाल पुस्तकों के लिए तरस रहे है।

कई स्कूलों में नौनिहालों को पुरानी किताबें भी नहीं मिल सकी है तो वह पिछली कक्षा की किताबें लेकर विद्यालय आते है। कई जगहों पर बिना किताबों के ब्लैक बोर्ड पर ही पढ़ाई कराई जा रही है।

पढ़ाई का सहारा बनी पुरानी पुस्तकें

शिक्षा क्षेत्र पूरा बाजार के प्राथमिक विद्यालय कछौली में पुरानी किताबों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। जहां नामांकित कुल 65 बच्चों में बुधवार को 57 उपस्थित थे प्रधानाध्यापक मनोज कुमार ने बताया कि अभी नई किताबें नहीं मिली है। यही हाल पूर्व माध्यमिक विद्यालय कछौली का भी है।

यहां कुल नामांकित 69 बच्चों में 52 उपस्थित थे। सहायक अध्यापक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि अभी नई किताबें नहीं मिली है। पुरानी किताबों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

कोट –
अभी नई किताबों की आपूर्ति नहीं हुई है। शीघ्र ही आपूर्ति की उम्मीद है। शिक्षा कार्य में किसी तरह का व्यवधान नहीं आ रहा है। – संतोष कुमार राय – बेसिक शिक्षा अधिकारी, अयोध्या।

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